एसवाईएल मुद्दे पर पंजाब- हरियाणा के बीच बैठक खत्म, नहीं बनी सहमति, अब दोबारा होगी मीटिंग

चंडीगढ़ | एसवाईएल मुद्दे को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की मंगलवार को बैठक हुई. जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद रहे. यह बैठक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हुई है जिसमे इस एसवाईएल मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों को बातचीत करने को लेकर 3 सप्ताह का समय दिया गया था. जुलाई महीने में हुई सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को मध्यस्थता करने के आदेश दिए थे, अपितु दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच यह पहली बैठक थी.

SYL Canal

परन्तु बैठक का नतीजा सिफ़र रहा क्योंकि दोनों ही पक्ष किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नही हैं. जहाँ हरियाणा अपनी सिंचाई जरूरत को पूरा करने हेतु पानी की मांग कर रहा है वहीं दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे भावनात्मक मुद्दा बताते हुए कहा कि पानी देने के फैसले से पूरा पंजाब रोष में आकर जल जाएगा जो दोनों ही राज्यों के लिए घातक होगा.

क्या है एसवाईएल मुद्दा?

जब पंजाब व हरियाणा अलग हुए थे तब उक्त राज्यों के बीच पानी का बंटवारा नहीं हुआ. विवाद को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने हरियाणा को 3.5 एमएएफ पानी देने की अधिसूचना जारी की. इसी के लिए 212 km लंबी एसवाईएल नहर बनाने का निर्णय हुआ था. इसके बाद हरियाणा ने अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण कई सालों पहले पूरा कर दिया था. जबकि पंजाब ने अब तक इसे विवादित मुद्दा बना रखा है. 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव के पास नहर खुदाई की आधारशिला रखी परन्तु विवाद होने से इसे रोक दिया गया. जिसके बाद 1985 में राजीव- लौंगोवाल समझौता हुआ जिसमें पंजाब ने नहर बनाने की सहमति दी.

परन्तु 1996 तक इस पर कार्य न होने से हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जिसके फलस्वरूप 2002 के कोर्ट ने पंजाब को नहर बनाने के निर्देश दिए परन्तु पंजाब ने टर्मिनेशन ऑफ अग्रीमेंट एक्ट बनाकर सभी जल समझौते रदद् कर दिए. जिसके बाद से यह मामला राजनीतिक रूप लेकर कोर्ट में अटका हुआ था. वर्ष 2015 में मनोहर सरकार राष्ट्रीपति को इस पर संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया जिसके बाद 5 जजों की बैंच निरन्तर हर साल इस पर सुनवाई कर रही है. जिसके निर्देशानुसार अब दोनों मुख्यमंत्रियों को बात करने के निर्देश दिए गए थे. परन्तु मामला राजनीतिक रूप अधिक लिए हुए है जिससे यह बात सिरे चढ़ती अभी नजर नहीं आ रही.

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