आंदोलन जबरदस्ती खत्म करवाया तो गांवों में नहीं मिलेगी भाजपा नेताओं को एंट्री

चंडीगढ़ । केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरुद्ध कुंडली बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के साथ-साथ अन्य राज्यों के भी आंदोलनकारी किसान धरना दे रहे हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव के बीच भी संयुक्त किसान मोर्चा साडे 4 महीने से चल रहे किसान आंदोलन को पीछे हटाने के लिए तैयार नहीं है.

हालात यह हो गए हैं कि दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ पूरे देश में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैल रहा है. परंतु किसान नेता किसान आंदोलन को जारी रखने की जिद पर अड़े हैं. किसान नेताओं ने लोकडाउन की स्थिति में भी किसान आंदोलन को जारी रखने की घोषणा की हुई है. अब ऐसा लगता नहीं है कि किसानों का यह विरोध प्रदर्शन कुछ महीनों में समाप्त होने वाला है.

RAKESH TIKET

बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे. राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन को सरकार जबरदस्ती समाप्त नहीं करवा पाएगी. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी और कहा कि अगर केंद्र सरकार ने जबरदस्ती आंदोलन से किसानों को घर भेजने का प्रयास किया तो किसी भी बीजेपी नेता को गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यदि लॉकडाउन लगता है तो भी आंदोलन नहीं रुकेगा. बुधवार को राकेश टिकैत राई स्थित एक ढाबे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे.

दूसरी ओर, भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने ढाबे के मालिक राम सिंह राणा के द्वारा धरना स्थल पर आटा व आरो का पानी उपलब्ध करवाने के लिए बहुत-बहुत आभार व्यक्त किया. गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि इस किसान आंदोलन में जो भी व्यक्ति अपनी ओर से जो संभव सहायता कर रहा है, केंद्र सरकार उसको ई डी के माध्यम से नोटिस भिजवा देती है.

पिछले साल 28 नवंबर से ही दिल्ली एनसीआर के चारों बॉर्डर गाजीपुर, शाहजहांपुर, सिंघु और टिकरी पर किसानों का आंदोलन जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के अनुसार जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं होते, तब तक आंदोलन समाप्त होने का प्रश्न ही नहीं उठता.

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