किसानों को नहीं जलानी पड़ेगी अब पराली, बेचकर कमा रहे आमदनी

जींद | किसानों को  पराली जलाने की जरूरत नहीं क्योंकि पराली अब 3 हजार से 5 हजार में बिक रही है. जिसके कारण प्रदेश में पराली जलाने की घटना भी कम हो गई है. यह पराली अब किसानों के लिए आमदनी का एक जरिया है. पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिए बदनाम पराली के भाव बढ़ गए हैं. तीन साल पहले तक किसान जिस पराली को खेतों में जला देते थे, अब उसे बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. एक एकड़ की पराली तीन से पांच हजार रुपये में बिक रही है. इससे किसानों का कटाई व कढ़ाई का खर्च पराली की बिक्री से ही निकल रहा है, जिससे किसान खुश है.

Parali Image

पराली के दाम बढ़ने के कारण

इस साल बारिश के कारण कई जिलों में धान की फसल बर्बाद हो चुकी है, जिस कारण पराली भी कम है. कैथल जिले के गांव कांगथली में पराली से बिजली बनाने का बायोमास प्लांट शुरू हो चुका है. जींद जिले के गांव ढाठरथ और पानीपत में रिफाइनरी के पास भी बायोमास प्लांट अंतिम चरण में हैं. यहां लाखों टन पराली का स्टाक किया जा रहा है। अकेले कैथल प्लांट में ही साढ़े तीन लाख टन पराली इकट्ठी करने का टारगेट है.

पराली प्रबंधन के नोडल आफिसर नरेंद्र पाल कहते हैं कि प्रदेश सरकार के प्रयासों के चलते पूरे हरियाणा में हर साल पराली जलाने के केस घट रहे हैं. किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने के लिए पराली जलाने से जमीन को होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को जागरूक किया है. जींद जिले में पिछले साल 24 अक्टूबर तक पराली जलाने के 241 केस थे, जबकि इस बार सिर्फ 49 केस मिले हैं.

हरियाणा सरकार ने कृषि यंत्रों पर 80 फ़ीसदी छूट दी

हरियाणा सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. किसान समितियों को 80 फीसदी सब्सिडी पर पराली की गांठें बनाने व इन्हें काटकर खेतों में मिलाने की मशीनें दी जा रही हैं. पराली की गांठ बनाने की मशीन रीपर बाइंडर की संख्या बीते एक साल में हर जिले में दोगुनी हो गई है. मशीनें देने के अलावा सरकार ने किसानों को जागरूक भी किया. कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव गए, जिसका असर यह हुआ कि हरियाणा में इस बार पिछले साल की अपेक्षा पराली जलाने के केसों में एक-चौथाई से भी ज्यादा की कमी आई है.

महंगे दामों पर बिक रही जींद में पराली

जींद जिले के गांव तेलीखेड़ा के किसान पराली खरीदकर उसकी तूड़ी बनाकर राजस्थान में भेजते हैं. पिछले साल 1000 से 1500 प्रति एकड़ की पराली खरीदी थी. लिंक रोड पर जो गांव हैं, वहां इस बार 3000 रुपये प्रति एकड़ की एडवांस बुकिंग शुरू कर दी है. हाइवे पर खेतों से चार से पांच हजार प्रति एकड़ पराली खरीदी जा रही है. जींद जिले से अधिकतर पराली की तूड़ी बनाकर राजस्थान व दिल्ली भेजी जाएगी, जबकि कैथल, कुरुक्षेत्र की तरफ पराली के बंडल बनाकर गुजरात भेजे जाते हैं, जो कच्चे माल की पैकेजिंग में काम आते हैं.

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