कैप्टन के इस्तीफे से हरियाणा कांग्रेस में खलबली, नए समीकरण बनने के आसार

चंडीगढ़ | कैप्टन अमरिंदर सिंह के पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद हरियाणा कांग्रेस में भी सियासत गरमा गई है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने जिस तरह कैप्टन को लेकर बड़ा राजनीतिक फैसला लिया है , ठीक उसी तरह आने वाले कुछ दिनों में हरियाणा कांग्रेस में भी बड़ा फैसला देखने को मिल सकता है. बता दें कि हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के बीच तल्ख़ियां किसी से छिपी नहीं है. हुड्डा की प्रदेश कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल से भी ज्यादा नहीं जमती है . पूर्व मुख्यमंत्री को लगता है कि बंसल पर्दे के पीछे से कुमारी शैलजा की ही मदद करते हैं.

punjab cm amarinder singh

गौरतलब है कि हुड्डा समर्थित 22 विधायक दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिलकर कुमारी शैलजा को अध्यक्ष पद से हटाने को लेकर कई बार गुहार लगा चुके हैं. फिलहाल हुड्डा समर्थित खेमा प्रदेश प्रभारी बंसल पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी करने से परहेज़ कर रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि बंसल आगामी विधानसभा चुनावों में उतर प्रदेश से चुनाव लडेंगे और इस दौरान पार्टी हाईकमान उनकी जगह किसी और नेता को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी सौंप देगा.

31 में से 24 विधायक हुड्डा समर्थक

हालांकि कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी हुड्डा पर लगाम कसना चाहता है लेकिन दिक्कत ये है कि 31 में से 24 विधायक हुड्डा समर्थक हैं. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी हाईकमान को न चाहते हुए भी उनकी बातों को मानना पड़ता है.

प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा और प्रभारी बंसल द्वारा तैयार की गई जिला स्तरीय संगठन की सूची भी पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा ने जारी नहीं होने दी. हुड्डा राज्यसभा में हरियाणा से कुमारी शैलजा की जगह पर अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को भेजकर शैलजा को पहले भी पटखनी दे चुके हैं.

बता दें कि भुपेंद्र हुड्डा और कैप्टन अमरिंदर सिंह की अच्छी दोस्ती हैं और पार्टी हाईकमान ने उनसे बातचीत करने की जिम्मेदारी भी हुड्डा को सौंपी थी. फिलहाल कांग्रेस हाईकमान हरियाणा में हुड्डा की हर बात सुन रहा है . हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को उतर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों के लिए बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य भी मनोनीत किया गया है जिसमें प्रियंका गांधी भी सदस्य हैं. लेकिन शैलजा और हुड्डा विरोधी गुट को लग रहा है कि कैप्टन को हटाया जाना हुड्डा के लिए संदेश है . उन्हें लगता है कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी के फैसलों को न मानने वालों को सबक सिखाने का फैसला कर चुका है.

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