इस गांव में रामलीला मंचन की है अनोखी परंपरा, ब्रिटिशकाल से जुड़ी है यादे

करनाल | कर्ण भूमि का हिस्सा माने जाने वाला ऐतिहासिक स्थल करनाल है. यहां कर्णनगरी में रामलीलाओं के मंचन की अपनी विशेष परंपरा है. जैसा की हम सभी जानते है की शहर में अब सिर्फ़ दो स्थानों पर लीला का मंचन दिखने को मिलता है. लेकिन, शहर के नजदीक क्षेत्र में कुंजपुरा गांव में मंचित होने वाली रामलीला ने भी अलग से शोहरत हासिल की हुई है. किन्तु कोरोना संक्रमण के कारण लागू प्रशासनिक दिशा- निर्देशों के कारण इस वर्ष इनमें से किसी भी स्थान पर लीला का मंचन नहीं हो रहा है. इस कारण गहन विचार किया जा रहा है कि राम लीला की जगह इस बार भजन कीर्तन से प्रभु सुमिरण किया जाए.

RAMLILA IMAGE

गांव कुंजपुरा में रामायण के अखंड पाठ व हवन यज्ञ के आयोजन करने का फैसला लेकर निर्देश जारी किए गए हैं. करनाल शहर में मुख्य तौर पर श्री रामलीला सभा एवं रामायण पाठक सभा की ओर से भिन्न- भिन्न स्थानों पर रामलीलाओं का मंचन कराया जाता रहा है. ये दोनों ही कमेटियां बहुत पुरानी हैं. ब्रिटिशकाल से पहले ही इनके द्वारा प्रभु श्रीराम के भक्तों के लिए रामलीला का मंचन किया जाता रहा है. श्री रामायण पाठक सभा के पदाधिकारियों का दावा है कि यह संस्था क़रीब 112 वर्ष से अनवरत लीला का मंचन करती चली आ रही है.

सभा की तरफ़ से हर साल जनता मंडी पर बनाए जाने वाले मंच पर प्रभु श्रीराम के जीवन की झांकी को कलाकारों के निपुण अभिनय के माध्यम द्वारा बहुत सुंदरता व शालीनता के साथ प्रस्तुत किया जाता है. हर समय लीला का आनंद उठाने वालों की संख्या की तादाद में बढ़ोतरी दिखने को मिलती है और इस दृश्य को देखने हेतु पंडाल में उमड़ती है. इसके अतिरिक्त शहर के सभी प्रमुख समाजसेवियों और अन्य वर्गों का भी पूरे आयोजन में मुख्य स्तर पर सहयोग हासिल होता रहा है. आयोजन पर होने वाले खर्च की व्यवस्था सभा की कार्यकारिणी चंदे व आपसी सहयोग से करते है. जैसे कि इस साल यहां रामलीला का मंचन नहीं हो रहा है लेकिन फ़िर भी सभा की कार्यकारिणी विचार कर रही है कि इस बार विकल्प के रूप में क्या कदम उठाए जा सकते हैं. लेकिन अभी तक इस बारे में किसी भी तरह का अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.

शहर के सबसे श्रेष्ठ कहलाने वाले रामलीला मैदान में भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीलाओं के मंचन की बहुत सी पुरानी और सांस्कृतिक परंपरा है. यहां भी आजादी से पहले ही रामलीला का मंचन होता आ रहा है परन्तु इस वर्ष रामलीला कमेटी की ओर से कोरोना काल के कारण आयोजन नहीं किया जा रहा है. कमेटी की ओर से रावण दहन पर भी खास प्रकार के इंतजाम किए जाते रहे हैं. पिछले वर्ष इसी के चलते सीएम सिटी करनाल में 75 फुट के प्रदूषण रहित रावण का दहन भी किया गया था. वह एक बहुत ही भव्य आयोजन था.

बीते 90 दशक से भी अधिक हुए किन्तु अब तक हो रहा है कुंजपुरा में रामलीला मंथन

अंत में बात करते हैं शहर से कुछ ही दूर स्थित कुंजपुरा की क्योंकि वहां भी करीब नौ दशक से रामलीला का लगातार आयोजन किया जा रहा है. वह आयोजन बहुत ही अधिक भव्य रूप से किया जा रहा है. अपितु इस बार यहां रामलीला मंचन कोरोना महामारी के चलते स्थगित कर दिया गया है. श्री महावीर ड्रामेटिक क्लब के प्रेमपाल सागर व राजपाल रोजड़े ने बताया कि ब्रिटिश काल में 1930 से यहां लीला मंचन शुरू हुआ था और अब तक यह परंपरा चली आ रही है. श्री महावीर ड्रामेटिक क्लब द्वारा तय किया गया है कि यहां प्रथम नवरात्रि से रात्रि आठ बजे हनुमान चालीसा का पाठ व भजन कीर्तन प्रस्तुत किया जाएगा. इसके अतिरिक्त 24 व 25 अक्टूबर को प्रात: नौ बजे तक रामायण का अखंड पाठ व हवन यज्ञ भी संपूर्ण रूप से होगा. सभी ग्राम वासियों से अपील की गई है कि इस बार वे अपने घरों में ही पूजा पाठ का आनंद लें.

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