हरियाणा CM की कुर्सी पर संकट के बादल, निर्दलीय विधायकों ने वापस लिया समर्थन; क्या कहता है विधानसभा का गणित

चंडीगढ़ | लोकसभा चुनावों की गहमा- गहमी के बीच हरियाणा में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ निर्दलीय विधायकों ने बड़ा खेला कर दिया है. दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन टूटने के बाद इन्हीं निर्दलीय विधायकों के सहारे नायब सैनी के नेतृत्व में बीजेपी ने नई सरकार का गठन किया था.

Nayab Singh Saini

मंत्री नहीं बनाने से थे नाराज

बताया जा रहा है कि समर्थन देने के बाद इन विधायकों को मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी, लेकिन रणजीत चौटाला को छोड़कर किसी भी निर्दलीय विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था और तब से ही ये विधायक सरकार से नाराज़ चल रहे थे.

3 निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस लिया

नायब सैनी सरकार से जिन विधायकों ने समर्थन वापस लिया है. उनमें पुंडरी के विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर व चरखी दादरी के विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की उपस्थिति में इन्होंने बीजेपी सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. इन 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से बीजेपी सरकार अल्पमत में आ गई है.

क्या है वर्तमान में विधानसभा का गणित

हरियाणा विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 90 है. लेकिन पूर्व सीएम मनोहर लाल के इस्तीफा देने के बाद करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. वहीं, रानियां विधानसभा सीट से जीतकर आए निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और फिलहाल हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

वर्तमान में 88 में से 40 विधायक BJP के, 30 कांग्रेस, 10 JJP, एक इनेलो और एक हरियाणा लोकहित पार्टी से हैं. वहीं, 6 निर्दलीय विधायकों में से 3 बीजेपी तो 3 विधायक कांग्रेस पार्टी के साथ हैं. ऐसे में 88 सीटों पर बहुमत के लिए 45 का आंकड़ा चाहिए लेकिन 40 विधायक बीजेपी के, 3 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक के समर्थन के बावजूद भी यह आंकड़ा 44 ही बैठता है. जो बहुमत से एक कम हैं और बीजेपी सरकार अल्पमत में आ चुकी है.

बीजेपी के लिए ये है राहत भरी खबर

3 निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन कांग्रेस पार्टी को दे दिया है, जबकि निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू पहले ही सरकार से अलग है. ऐसे में अगर भविष्य में विधानसभा में विश्वास मत लाया जाता है तब सरकार के लिए मुसीबत की घड़ी खड़ी हो सकती है, लेकिन कांग्रेस बजट सत्र में अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ लेकर आई थी जो ध्वनि मत से गिर गया था और सरकार जीत गई थी. इस आधार पर अब 6 महीने तक सदन में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता, जिससे बीजेपी को राहत मिलती दिखाई दे रही है.

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