हरियाणा सरकार ने पंचायतों के खातों में डाले 316 करोड़, कार्यकाल हो चुका खत्म, सरपंच नहीं कर सकते खर्च

चंडीगढ़ । हरियाणा सरकार द्वारा सरपंचों का कार्यकाल समाप्त होते ही 15वें वित्त आयोग की 316 करोड़ रुपयों की ग्रांट राशि ग्राम पंचायतों के खातों में डाल दी गई है. इस राशि का 75% गांव के विकास कार्यों और बचा हुआ 25% स्वच्छता कार्यों में खर्च किया जाना है. परंतु इस बार सरपंच चाह कर भी इस राशि का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. क्योंकि 23 फरवरी को ही सरपंचों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. अब बीडीपीओ इस धनराशि को खर्च करेंगे. सरपंच इस बात का पूरा विरोध कर रहे हैं क्योंकि सभी सरपंच इस राशि को अपने स्वयं के हाथों से गांवों के विकास के लिए खर्च करना चाहते थे.

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कोविड-19 की वजह से पहले नहीं मिल पाई थी ग्रांट

15वें वित्त आयोग के अंतर्गत सरकार की तरफ से ग्राम पंचायतों के खातों में वर्ष में दो बार धनराशि डाली जाती है. इसी धनराशि से गांव में अनेक प्रकार के विकास कार्य करवाए जाते हैं. वैसे तो यह धनराशि इस बार भी ग्राम पंचायतों को पहले ही मिल जाती परंतु पिछले वर्ष मार्च के महीने में कोविड-19 कोरोना महामारी की वजह से लोक डाउन लग गया था और सरकार यह राशि जारी नहीं कर पाई थी. ग्रांट राशि को ग्राम पंचायत के खातों में डाल दिया गया है लेकिन फिलहाल सरपंचों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. जब यह राशि डाली गई थी, उसी वक्त पंचायती विभाग की तरफ से एक पत्र जारी किया गया था जिसके अनुसार पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, इसलिए कोई भी सरपंच किसी भी प्रकार का नया कार्य आरंभ नहीं कर सकते.

ग्रांट राशि से होते गांव के यह विकास कार्य

वैसे तो यह 316 करोड़ रुपयों की धनराशि हरियाणा के सभी जिलों के लिए है, परंतु गांव की आबादी के अनुसार ही यह धनराशि वितरित होती है. प्रत्येक गांव को अलग-अलग ग्रांट राशि दी जाती है. इस धनराशि से गांवों में अनेक प्रकार के विकास कार्य होते हैं. जैसे तलाब की साफ-सफाई, स्ट्रीट लाइटें, पानी की निकासी के लिए नालिया बनवाना, गलियों का निर्माण करना आदि. वर्ष में दो बार आयोग से यह ग्रांट मिलती है परंतु कोरोना महामारी की वजह से यह ग्रांट नहीं मिल सकी थी.

ग्रांट राशि का इस्तेमाल करने के लिए अपडेट करवाया था डोंगल

काफी लंबे वक्त से गांव के सरपंच इस धनराशि के आने का इंतजार कर रहे थे. सरपंचों को अपना डोंगल भी अपडेट करवाने के लिए कहा गया था. जिससे सरपंच आसानी से इस धनराशि को निकलवा कर गांव के विकास कार्य को आरंभ करवा सके. सरपंचों ने डेढ़ हजार से लेकर 2000 रुपए खर्च किए थे और डोंगल को अपडेट करवाया था. परंतु यह राशि आने से पूर्व ही सरपंचों का कार्यकाल समाप्त हो गया.

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