चरखी दादरी में रेतीली भूमि पर शुरू की बागवानी खेती, आज हर महीने हो रही लाखों की कमाई

चरखी दादरी | बागवानी खेती को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार किसानों को सब्सिडी दे रही है. मगर फिर भी लोग पारंपरिक खेती पर ज्यादा ध्यान देते हैं. आज हम आपको चरखी दादरी के बाढ़डा गांव के उस किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने बागवानी खेती रेतीली जमीन पर की. अब यह बाकी किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुका है.

Bagwani Kheti Kisan Agriculture

ऐसे शुरू की खेती

खास बात यह है कि रेतीली जमीन पर पारंपरिक खेती छोड़कर बागवानी अपनाने वाले किसान महेंद्र सिंह की तस्वीर बदल गई है. किसान ने 2007 में चार एकड़ में मौसमी और लाल माल्टा के बगीचे लगाए थे और अब 7 एकड़ में लगाए गए बगीचे से सालाना 25 से 30 लाख रुपये कमा रहे हैं. इसके अलावा, उन्होंने अपनी नर्सरी तैयार कर बगल की 7 एकड़ जमीन में मौसमी बाग लगाकर कमाई का दायरा बढ़ाने की कोशिश की है. किसान महेंद्र सिंह का कहना है कि किसानों ने अपनी आय दोगुनी करने से प्रेरणा लेकर बागवानी खेती को अपनाया है और अन्य किसान भी बागवानी खेती करने लगे हैं.

सालाना हो रही 25 लाख से 30 लाख रुपये की कमाई

बता दें कि बाढ़डा क्षेत्र की अधिकांश भूमि रेतीली है तथा सिंचाई जल की सदैव कमी रहती है. खेती पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर है. पारंपरिक खेती से आय नाममात्र है. ऐसे में ग्राम कान्हड़ा निवासी किसान महेंद्र सिंह ने अतिरिक्त आय की तलाश की और वर्ष 2007 में चार एकड़ में बाग लगाया. जब आमदनी अच्छी होने लगी तो उन्होंने अपनी कमाई का दायरा बढ़ाया और 7 एकड़ में मानसून और किन्नू की खेती शुरू कर दी. इससे पारंपरिक खेती के साथ- साथ अतिरिक्त आय भी होने लगी. अब किसान महेंद्र सिंह सालाना करीब 25 लाख से 30 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं.

किसान ने अपने खेत में ही नर्सरी लगाकर पौधे तैयार किए और इस बार भी 7 एकड़ जमीन में रेड माल्टा मौसम्बी का बाग लगाया है, जिससे अगले दो से तीन साल में आमदनी शुरू हो जाएगी. बगीचे को देखकर अन्य किसान भी बगीचे लगाने लगे हैं. उनके अपने तीन भाइयों ने कई एकड़ में बाग लगाए हैं. वे अपने खेतों में पौधे उगाकर और उन्हें दूसरे किसानों को बेचकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं. उन्होंने शासन से अनुदान राशि लेकर प्रोसेसिंग मशीन के अलावा खेत में नेट हाउस भी लगाया है.

किसानों को इन बातों का रखना होगा ध्यान

महेंद्र सिंह ने कहा कि किसान जानकारी के अभाव में पौधे के चारों ओर गहरी जुताई कर देते हैं, जिससे जड़ें कटने के कारण पौधा सूखने लगता है और फिर धीरे- धीरे बाग खत्म हो जाता है, इसलिए किसानों को आसपास गहरी जुताई करने की से बचना चाहिए. उन्होंने बताया कि उनका बगीचा 17 साल पुराना है लेकिन उचित देखभाल के कारण पौधे पूरी तरह स्वस्थ हैं. उनके बाद गांव के कई किसानों ने बाग लगाये हैं और अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. उनके अपने भाई धर्मेंद्र ने 12 एकड़, महिपाल ने 14 एकड़ और जोगेंद्र ने 9 एकड़ में बाग लगाए हैं.

सरकार किसानों के लिए नई- नई योजनाएं लेकर आ रही है. इसके लिए नई- नई योजनाओं के माध्यम से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है ताकि किसान सक्षम बन सके. प्रशासन पूरी तरह से प्रयासरत है- डॉ. चंद्रभान श्योराण, कृषि विशेषज्ञ, चरखी दादरी

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!