हरियाणा के इस मंदिर में बनाया गया 42 फुट ऊंचा सोने का खंभा, यह है विशेषता

हिसार । दक्षिण के तिरुपति बालाजी का नाम पूरे देश में प्रसिद्ध है मगर उत्तर भारत के लोगों के लिए वहां जाना किसी चुनौती से कम नहीं है. ज्यादा दूर होने की वजह से लोग वहां पर नहीं जा पाते हैं. मगर अब उत्तर भारत के लोगों को दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी जैसा हुबहू मंदिर हरियाणा के हिसार में देखने को मिल सकता है. हरियाणा के हिसार में स्थित इस मंदिर में 42 फुट ऊंचे खंभे का निर्माण करवाया गया है. इस 42 फुट उंचे खंभे से इस मंदिर को एक नई पहचान भी मिल गई है. अब मंदिर को देखने के साथ साथ 42 फुट उंचे खंभे को भी देखने के लिए लोग आया करेंगे.

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सोने से बना है 42 फुट ऊंचा खंभा, गरुड़ स्तंभ

मंदिर के सेवादार राजेश शुक्ल ने इस 42 फुट खंबे के बारे में विस्तार से जानकारी सांझा की है. राजेश ने बताया कि इस खंभे को बनाने के लिए सागवान की लकड़ी से दो बड़े पेड़ लिए गए शुरू ने काट कर एक साथ जोड़ा गया. इसको बनाने के लिए जयपुर से कार्य आए थे, सबसे पहले इस पर तांबे के 2 फुट के कड़े बनाए गए ऊपर नीचे कड़े बनाने के बाद इस पर सोने की परत चढ़ाई है. इस खंभे का नाम गरूड़ स्तंभ है. राजेश ने आगे बताया कि यह तिरुपति मंदिर हुबहू दक्षिण के तिरुपति बालाजी मंदिर जैसा ही है यानी कि इसका पूरा प्रारूप दक्षिण के तिरुपति बालाजी मंदिर के जैसा ही तैयार किया गया है.इस मंदिर की साज सज्जा का काम तिरुपति के कारीगरों ने ही आकर किया है. यह ढाई एकड़ में फैला हुआ है.

कितना हुआ खर्च और कितना समय लगा

राजेश शुक्ला ने खंभे में हुए खर्च और निर्माण में लगे समय के बारे में जानकारी सांझा करते हुए बताया कि खंभे को बनाने के लिए लगभग 20 से 30 लाख का खर्च हुआ है. उन्होंने बताया कि इसके लिए कई जगहों से चंदा आया है. और इस खंभे को बनाने के लिए लगभग 1 वर्ष का समय लगा है.

किसने बनवाया यह मंदिर

अभी तक आप सभी लोगों के मन में यह सवाल आता होगा कि इस मंदिर को आखिर कैसे बनाने का विचार मन में आया, यानी कि इस मंदिर को किसने बनवाया है और क्यों बनवाया है. जबकि यह मंदिर तिरुपति बालाजी दक्षिण में पहले से ही स्थित है. तो फिर उत्तर भारत में इस मंदिर को बनाने की क्या जरूरत पड़ी.

यह मंदिर वृंदावन के अखिल भारतीय श्री बैकुंठ नाथ सेवा धर्मा ट्रस्ट की ओर से बनाया जा रहा है और यह मंदिर सिरसा रोड पर चिकनवास टोल प्लाजा के पास स्थित है. इस मंदिर की सबसे खास विशेषता यह है कि उत्तर भारत में दक्षिण भारतीय शैली का यह सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है.

सपना आया तो मंदिर बनाया

इस बारे में मंदिर के एक दूसरे सेवादार रामनिवास अग्रवाल ने बताया कि यह मंदिर बनाने का ख्याल उनके गुरु को आया था. रामनिवास अग्रवाल का कहना है कि उनके गुरु देव नारायण आचार्य महाराज वृंदावन में रहते हैं और वह हिसार में 108 भागवत कथा के लिए आते हैं. एक दिन उनको सपना आया कि तिरुपति बालाजी जैसा मंदिर यहां भी बनाया जाए. क्योंकि कि वहां सभी लोग नहीं पहुंच पाते हैं. इसके बाद रामनिवास अग्रवाल ने एक ऐसा ट्रस्ट बनाया. जिसमें भारत के अधिकतर राज्यों के लोग इस ट्रस्ट से जुड़ गए और सभी ने संकल्प लिया कि वह इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा करवाएंगे.

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