Teacher Day: झज्जर के इस शिक्षक की सोच को सलाम, पहले बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया, फिर घर जाकर पहुंचाई किताबें

झज्जर । कहते हैं शिक्षा से बड़ा कोई हथियार नहीं होता और बच्चों के उज्जवल भविष्य में शिक्षा की बहुत बड़ी भूमिका होती है व शिक्षा में शिक्षक का. इस कथन को सार्थक किया है राजकीय उच्च विद्यालय छोछी के हिंदी अध्यापक रामबीर ककराना ने, जिन्होंने कोरोना महामारी के भीषण दौर में भी बच्चों की पढ़ाई को लेकर अपना अहम भूमिका निभाई है. महामारी के इस दौर में स्कूल बंद हो गए , लेकिन बच्चों को दूरी का जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया और फोन के माध्यम से उनके सम्पर्क में बने रहें.

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कोरोना काल में भी बच्चों के हौसलों में कोई कमी नहीं आने दी और साथ ही पढाई का फीडबैक लेना भी जारी रखा. किसी भी बच्चे ने जो भी समस्या बताई उसका समाधान करने में उतनी ही तत्परता दिखाई. इस दौरान वो बच्चों के अभिभावकों के भी लगातार अपडेट लेते रहे.उनका एक मात्र उद्देश्य यही था कि बच्चों को लगें कि अध्यापक उनके साथ खड़े हैं और वें कोरोना महामारी से घबराएं बिना निडर होकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.

एक शिक्षक ऐसे भी

कोरोना काल में स्कूल बंद होने से निश्चित तौर पर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी और बच्चे ऐसे समय में घर में ही रहें. ऐसे में बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करने का सुझाव दिया गया लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में इंटरनेट व मोबाइल फोन की उपलब्धता बाधा बनी.
अध्यापक रामबीर ककराना ने बताया कि शुरुआत में बहुत से बच्चे ऐसे थे जिनके पास स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं होने के चलते ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हों पा रही थी.इस समस्या के समाधान का रास्ता निकालने के लिए उन्होंने बच्चों के पड़ोसियों से कॉन्टैक्ट किया और उनके लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की.

बच्चों के घर-घर पहुंचाई किताबें

हिंदी अध्यापक रामबीर ककराना ने बताया कि जैसे-2 कोरोना से हालात काबू में होते रहे और बच्चे अगली कक्षाओ में प्रमोट हुए तो उनके सामने पाठ्य सामग्री का अभाव नजर आया. बच्चों के पास नई कक्षा के लिए पुस्तकें भी नहीं थी जिस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी.

इस समस्या का समाधान करने के लिए पूरे स्कूल स्टाफ के साथ मिलकर पास होकर अगली कक्षाओ में जाने वाले बच्चों से सम्पर्क किया तथा उन बच्चों से पिछली कक्षा की पुस्तकें लेकर बच्चों को घर-घर जाकर किताबें वितरित की. इस दौरान बच्चे घर पर रहकर पढ़ाई करने लगे और कोरोना संक्रमण से बचाव करने में भी कामयाब हो सकें.
उन्होंने बताया कि जब बच्चों को घर-घर जाकर किताबें वितरित की तो बच्चे काफी खुश नजर आए . बच्चों के चेहरों पर पुस्तकें मिलने की खुशी साफ झलक रही थी.

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