WWE की इस महिला रेसलर ने पूर्व आईपीएस की प्रताड़ना से तंग होकर छोड़ी थी रेस्लिंग, संघर्ष पर बनेगी बायोपिक फिल्म

जींद | भारत की प्रथम महिला पुरस्कार से सम्मानित हरियाणा के जींद के जुलाना के मालवी गांव की रहने वाली महिला पहलवान कविता दलाल के जीवन पर बॉलीवुड फिल्म (बायोपिक) बनने जा रही है. फिल्म को भव्य पैमाने पर बनाने के लिए कविता दलाल ने मुंबई की टीम के साथ करार किया है. टीम ने कहानी लिखना भी शुरू कर दिया है.

Kavita Dalal

दंगल, मैरी कॉम समेत अन्य बायोपिक फिल्मों की तरह कविता दलाल की जिंदगी भी पर्दे पर देखने को मिलेगी. कविता दलाल तब चर्चा में आई थीं जब 2016 में उन्होंने सूट-सलवार पहनकर एक इंटरनेशनल रेसलर को मात दी थी फिलहाल वह आम आदमी पार्टी से जुड़ी हुई हैं. जंतर-मंतर पहुंचने के बाद उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पूर्व आईपीएस अधिकारी की प्रताड़ना के चलते वह रिंग से दूर हो गईं.

फिल्म को लेकर दिया ये बयान

कविता दलाल ने बताया कि उन्हें इस बात की खुशी है कि उनकी संघर्ष भरी जिंदगी को किसी ने समझा और इस पर फिल्म बनने जा रही है. इससे उन लाखों लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी जो परिस्थितियों के कारण अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाती हैं. कविता ने बताया कि उनकी फिल्म बनाने के लिए प्रीति अग्रवाल के साथ कॉन्ट्रैक्ट हुआ है. फिल्म में उनके जीवन के पूरे संघर्ष को दिखाया जाएगा. मैं अटल हूं जैसी फिल्मों के निर्माता जीशान भी कविता की बायोपिक पर काम करने के लिए काफी उत्सुक हैं.

पूर्व आईपीएस के कारण छोड़ी थी कुश्ती

कविता ने कहा प्रताड़ना के कारण मुझे भी कुश्ती छोड़नी पड़ी. वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के अध्यक्ष पूर्व आईपीएस के प्रताड़ना के कारण मैंने कुश्ती भी छोड़ दी थी. इससे पहले मैं कभी अपनी कहानी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी लेकिन जब मैंने विनेश फोगाट को दिल्ली के जंतर मंतर पर देखा तो हिम्मत आ गई. कई खिलाड़ियों के आसपास ऐसे हालात बनते हैं.

कद काठी ने बनाया वेट लिफ्टर

जुलाना के छोटे से गांव मालवी के किसान परिवार में जन्मी कविता दलाल को शुरू से ही दूध और दही खाने का शौक था. शारीरिक रूप से मजबूत होने और 5 फीट 11 इंच की हाइट होने के कारण उनका रुझान वेट लिफ्टिंग की ओर चला गया. ग्रामीण परिवेश से निकलकर सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों से जूझती कविता ने कड़ी मेहनत की और धीरे-धीरे पदकों की झड़ी लगा दी. कविता ने भारोत्तोलन में राष्ट्रीय खेलों में कई पदक जीते. इसके अलावा साल 2016 में कविता ने साउथ एशियाड में गोल्ड मेडल जीता था.

WWE की फाइट देखने का था शौक

कविता दलाल WWE के फाइट देखा करती थीं. उनकी भी ऐसी लड़ाइयों में भाग लेने की इच्छा थी. इसको लेकर कविता ने जालंधर की एक एकेडमी में ट्रेनिंग शुरू की. वहां उन्होंने WWE की फाइटिंग के लिए काफी मेहनत करनी शुरू कर दी. साल 2016 में ही कविता दलाल ने देसी स्टाइल में सूट सलवार पहनकर WWE रिंग में एंट्री की थी. उन्होंने वर्ल्ड क्लास रेसलर को जबरदस्त पटखनी दी. इसका वीडियो वायरल हुआ तो कविता दलाल देश ही नहीं विदेशों में भी सुर्खियां बटोर चुकी हैं.

राष्ट्रपति ने प्रथम महिला पुरस्कार किया प्रदान

कविता दलाल का चयन तब हुआ जब डब्ल्यूडब्ल्यूई की टीम यूएसए से आई. दुबई में होने वाली लड़ाई के लिए वह भारत की एकमात्र महिला पहलवान थीं. यहां तक कि डब्ल्यूडब्ल्यूई इवेंट्स में भी उन्होंने सूट और सलवार पहनकर लड़ाई की और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया. इसके बाद उनकी पहचान होने लगी. वर्ष 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें प्रथम महिला पुरस्कार से सम्मानित किया था.

लड़कियों को प्लेटफॉर्म देने का सपना

इसके बाद कविता दलाल 4 साल तक अमेरिका में लड़ती रहीं. करीब 2 साल पहले भारत लौटे और यहां आकर राजनीति में सक्रिय हो गई. आप पार्टी में शामिल हो गई. कविता का मानना है कि खेल की नीतियां अच्छी होती हैं, लेकिन वह फाइलों तक ही सीमित रह जाती हैं और असली प्रतिभा दब जाती है. वह चाहती हैं कि सिस्टम में आकर और सिस्टम का हिस्सा बनकर बहुत कुछ बदला जा सकता है. कविता बताती हैं कि उनका विजन लड़कियों के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना है, जिससे उनका टैलेंट सामने आए.

वित्तीय कठिनाइयों का करना पड़ा सामना

संघर्ष के दिनों के बारे में कविता दलाल ने कहा कि किसान परिवार से होने के कारण शुरुआत में आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी. दूध बेचकर परिवार का गुजारा होता था. अपने भाई संजय के कहने पर वह खेलों में आगे बढ़ीं. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कैंप के दौरान एक बार कविता दलाल के पास पैसे नहीं थे तो उन्होंने मंदिर में मूर्ति के सामने रखे 15 रुपये उठा लिए और उससे टूथपेस्ट खरीद लिया. कुछ दिन बाद वह पैसे वापस मंदिर में रखने के लिए मंदिर गई. वहां उन्होंने मंदिर के बाहर बैठी एक भूखी कन्या को भोजन कराया.

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