गिनकर रोटी बनाने का हैं इतना बड़ा नुक़सान, आप जान लेंगे तो दोबारा नहीं करेंगे ऐसा

ज्योतिष|हमारे हिंदू धर्म में कई ऐसी परमपराएं है जो सदियों से चली आ रही है और आज भी हम उनका पालन पोषण कर रहे हैं. इन परम्पराओं के पीछे धार्मिक मान्यताओं के साथ- साथ वैज्ञानिक कारण भी मान्य होते हैं. अक्सर बड़े बुजुर्ग हमें इन परम्पराओं के बातों के बारे में बताते रहते हैं और इन्ही में से एक परम्परा है रोटी गिनकर ना तो बनाना चाहिए और ना ही खिलाना चाहिए.

Roti

पहले बिना गिने बनाते थे रोटी

भोपाल के रहने वाले ज्योतिष पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने इस परम्पराओं का जिक्र करते हुए बताया कि आज के आधुनिक युग में न्यूक्लियर फैमिली को बढ़ावा दिया जाने लगा है जिसके चलते मेम्बर कम होने के चलते रोटियां भी गिनकर बनाई जाने लगी है. इसका सेहत पर धार्मिक और वैज्ञानिक कारण की वजह से प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है. पहले के समय में रोटी बनाते समय एक रोटी गाय की और एक कुत्ते की बनाई जाती थीं. इसके अलावा दो रोटियां मेहमान के लिए बनाने की भी परम्परा थी लेकिन धीरे- धीरे ये परमपराएं खत्म होती जा रही है.

वैज्ञानिक कारण

रोटियां जब गिनकर बनाई जाती है तो बचा हुआ आटा फ्रिज में रख दिया जाता है जिसके चलते आटे में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद ख़तरनाक साबित होते हैं. इसलिए बासी आटे की रोटी नहीं बनानी चाहिए.

धार्मिक और ज्योतिषी कारण

रोटी का संबंध सूर्य और मंगल ग्रह से माना जाता है और फ्रिज में रखे हुए आटे में जो बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं उनका संबंध राहू से हो जाता है. इस रोटी को कुत्ते को खिलाना चाहिए ‌लेकिन हम ऐसा नहीं कर उस बासी रोटी को खुद खा रहे हैं. ऐसे में हम सामान्य से तेज आवाज में बोलने लग जाते हैं और घर में लड़ाई जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है और घर की शांति भंग हो जाती है.

यदि आप लड़ाई- झगड़े और अशांति से बचकर रहना चाहते हैं तो हमेशा एक रोटी गाय और एक रोटी कुत्ते की बनाएं. इसके अलावा दो रोटी अप्रत्यक्ष रूप से आने वाले मेहमानों के लिए जरूर बनाएं. अगर यह रोटियां बच जाती है तो इन्हें पशु पक्षी को खिला सकते हैं.

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