Holika Dahan: 6 या 7 मार्च कब है होलिका दहन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा करने का तरीका

ज्योतिष, Holika Dahan | हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है. अबकी बार होलिका दहन की तिथि को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ लोगों का कहना है कि अबकी बार होलिका दहन 6 मार्च यानी कि आज है. वहीं, कुछ लोग 7 मार्च यानि कल की कह रहे हैं.

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अबकी बार देश के कई हिस्सों में होलिका दहन 6 मार्च की रात को तो कहीं पर 7 मार्च को किया जा रहा है. इस खबर में हम आपको होलिका दहन की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा करने की विधि आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे.

इन तीन चीजों पर निर्भर करता है होलिका दहन 

होलिका दहन का मुहूर्त वैसे तो तीन चीजों पर निर्भर करता है. पूर्णिमा तिथि, प्रदोष काल और उस समय भद्रा न हो, ऐसा बहुत कम ही होता है. होलिका दहन इन 3 चीजों के साथ होने पर निर्भर करता है. पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का होना बेहद जरूरी होता है, पूर्णिमा के रहते हुए कुछ काल में यानी भद्रा के आखिरी समय में ही होलिका दहन करना शुभ माना जाता है. होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 6 और 7 मार्च के बीच रात 12:40 से 2:00 तक है. 7 मार्च को पूर्णिमा तिथि शाम 6:10 तक ही रहेगी, इसी वजह से कई जगहों पर 7 मार्च को भी होलिका दहन किया जाएगा.

होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त

  • फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 06 मार्च, सोमवार को शाम 04 बजकर 17 मिनट से आरंभ
  • फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि का समापन- 7 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर
  • भद्रा- 6 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 7 मार्च को भद्रा सुबह 5 बजकर 15 मिनट तक
  • होलिका दहन का शुभ मुहूर्त- 07 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजकर 39 मिनट तक रहेगा

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक

होली की पूजा पूर्णिमा तिथि के दिन सूर्यास्त के समय करने का विधान है. पंचांग के अनुसार इस साल 6 मार्च की शाम पूर्णिमा तिथि के साथ गोधूलि बेला भी है. इसी वजह से शाम 6:24 से 6:48 के बीच होलिका दहन करना काफी शुभ रहेगा. हिंदू धर्म में होलिका दहन पौराणिक और धार्मिक महत्व से काफी महत्वपूर्ण है.

होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है. इसके साथ ही, इस दिन होलिका की विधि विधान से पूजा की जाती है. आप अच्छे स्वास्थ्य और सुख- समृद्धि की कामना करते हैं. इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन भी होता है. इस वजह से आप अग्निदेव को धन्यवाद करते हैं.

इस प्रकार करें पूजा

होलिका की पूजा करने से पहले भगवान नरसिंह और प्रह्लाद का ध्यान करें. इसके बाद होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, 5 तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि डालें. फिर भोग लगाए. फिर कच्चा सूत लपेटते हुए होलिका के चारों और परिवार के साथ मिलकर परिक्रमा करें. इसके बाद होलिका में जल का अर्घ दें और अपने परिवार की सुख- समृद्धि की कामना करें.

फिर सूर्य अस्त के बाद प्रदोष काल में होलिका दहन करें. होलिका दहन के समय अग्नि में गेहूं की बाली, गन्ना, चावल आदि अर्पित करें. इसके साथ ही होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे पर लगाने से व्यक्ति को हर तरह के रोग दोष से छुटकारा मिल जाता है.

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