करनाल में गरीबों का साथ देने के जुर्म में पार्षद बलविंद्र को पुलिस ने किया गिरफ्तार

करनाल | पार्षद बलविंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद से लगातार हंगामा हो रहा है. एक ओर पार्षद के परिजनों ने मोहल्ले के लोगों के साथ मिल कर लघु सचिवालय पर धरना प्रदर्शन करना शुरु कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर उनके समर्थन में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र राठौर, पूर्व विधायक सुमिता सिंह, जिला संयोजक तरलोचन सिंह जैसे अन्य दिग्गज लोग भी उनका साथ देने के लिए धरना प्रदर्शन में लगातार शामिल हो रहे हैं. वहीं जब यह सभी लोग ज्ञापन देने के लिए गए तो वहां, लघु सचिवालय गेट पर तैनात भारी पुलिस फोर्स की ओर से ने रोक दिया गया. ऐसे में पुलिस फोर्स के साथ धक्कामुक्की हुई तो माहौल गर्मा गया.

हालांकि, सूत्रों के हवाले से खबर है कि बाद पांच लोगों ने ज्ञापन सौंपा है.

Police Photo

पार्षदों ने दिया पार्षद बलविंद्र सिंह का साथ, विभाग की गई कड़ी निंदा

पार्षद परिवार की ओर से कहा जा रहा है कि मध्य रात्रि को घर में घुस कर पार्षद परमिंदर सिंह को गिरफ्तार किया गया है. उसके बाद परिजन व मोहल्ले के लोगों की लगातार मांग के बाद भी पुलिस की ओर से उनकी कोई रिपोर्ट नहीं लिखी गई है. ऐसे में अग्ली सुबह वे लघु सचिवालय पर पहुंच कर धरना प्रदर्शन करने के लिए वहां पर बैठ गए है. पार्षद के परिजनों का साथ देने के लिए वहां मौके पर सोनियां तंवर, पंकज पूनिया, कृष्ण बसताड़ा, प्रवीन शर्मा, रानी कांबोज, सपना राणा आदि जैसे कई बड़े नेता उनका साथ देने के लिए लगातार धरना प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं.

वहां मौके पर मौजूद पार्षदों का कहना है कि बलविंदर सिंह पर जो भी कार्रवाई की जा रही है, हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं. सभी लोगों ने साफ तौर पर कहा कि पार्षद बलविंद्र सिंह के साथ ग़लत किया गया है. ऐसे में पार्षक समर्थकों की संख्या बढ़ती देख लघु सचिवालय गेट पर पुलिस बल बढ़ा दिया गया है. वहीं, डीसी को संबोधित ज्ञापन देने के बाद सभी घरों को चले गए.

कालोनी अवैध थी तो क्यों की गई रजिस्ट्री? 

बुढ़डा खेड़ा कालोनी के लोगों ने भी पार्षद बलविंद्र सिंह का साथ देते हुए व इतने समय से रखे हुए मौन को तोड़ते हुए विभाग से सवाल उठाए है कि यदि कालोनी अवैध है तो फिर पहले तहसीलदार पर कार्रवाई की जानी चाहिए. अगर मामले के पीछे कोई जिम्मेदार है तो वह तहसीलदार है, क्योंकि जमीन की रजिस्ट्री तहसीलदार ने ही करवाईं है. नक्शा पास करने वालों पर भी इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए.

लोगों ने किए विभाग से सवाल 

मुख्य सवाल यह है कि जिस समय मकान बनाया जा रहा था, उस समय पर यह डीटीपी व नगर निगम कहां था? उस समय पर लोगों को क्यों नहीं रोका गया. साथ ही साथ यह भी कहा गया कि पार्षद तो गरीबों की मदद करने के लिए वहां पर गए थे. अब जो भी इनके साथ किया गया है, उसे देखकर तो यह स्पष्ट हो जाता है कि गरीब की मदद करने का यह अंजाम भी हो सकता है.

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