हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्वतः ही प्रकट हुए थे हनुमानजी, यहाँ पढ़े इस प्राचीन मंदिर का इतिहास

कुरूक्षेत्र | हरियाणा का कुरुक्षेत्र सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है. यह वही स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. यहीं पर महाभारत का युद्ध भी लड़ा गया था. आज यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु मंदिरों और तीर्थस्थलों के दर्शन के लिए आते हैं. दरअसल, धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हजारों मंदिर हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप में विशेष महत्व रखता है. यह दक्षिण मुखी हनुमानजी का मंदिर है जो विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित है.

Hanuman Ji

बहुत प्राचीन है यह मंदिर

ऐसी मान्यता है कि इस दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में उनका स्वरूप स्वतः ही प्रकट हुआ है. इस मंदिर की मुख्य बात है कि यह मंदिर दक्षिणमुखी है. मंदिर का मुख्य पुजारी हिमांशु शर्मा ने बताया कि ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित इस मंदिर की बड़ी महिमा है. यह मंदिर बहुत ही प्राचीन माना जाता है.

हनुमानजी को दक्षिण दिशा है प्रिय

आगे बताया कि दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है क्योंकि हनुमान जी ने दक्षिण दिशा में जाकर ही प्रभु श्री राम के सारे काम करवाए थे. उन्होंने दक्षिण दिशा में जाकर ही माता सीता की खोज की और फिर उसी दिशा में जाकर लंका को जला दिया. इसलिए दक्षिणमुखी होने के कारण इस मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था बढ़ जाती है क्योंकि हिंदू धर्म में ज्यादातर मंदिर उत्तर और पूर्व दिशा के ही होते हैं. इस मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को हजारों भक्त आते हैं.

स्वयं प्रकट हो गए हनुमानजी

ऐसा माना गया है कि यह मंदिर 16वीं शताब्दी का है. इसके मुख्य पुजारी ने दावा किया कि 25 अप्रैल 2008 को हनुमानजी का मुख्य स्वरूप यहां स्वतः प्रकट हुआ था. उसी दिन हनुमान की मूर्ति जमीन पर बिखर गई और उसके पीछे से हनुमान जी का यह रूप सामने आया था.

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