देश के सपूत CDS जनरल बिपिन रावत के अनसुने राज़

नई दिल्ली । तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर इलाके में 8 दिसंबर को भारतीय वायु सेना का एमआई-17V5 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोग शहीद हो गए. देश के इस वीर बेटे के कुछ अनसुने किस्से.

bipin rawat

सामान्य परिवार का असाधारण चिराग

बहुत ही कम लोग ये जानते हैं कि जनरल बिपिन रावत एक सामान्य परिवार से थे. उत्तराखंड के पौड़ी जिले में एक छोटे से गांव में जन्में इस वीर ने बिना सड़क वाले गांव में अपना बचपन बिताया है. और पहाड़ के एक कोने से निकलकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुंच गए. जनरल रावत का जीवन काफी चुनौतियों भरा गुजरा. लेकिन देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के लिए उनको मिले संस्कार और शिक्षा का बड़ा महत्व था. उनके घरवाले बताते हैं कि वो सेना में भर्ती होने के बाद भी वे गांव से हमेशा जुड़े रहे.

7000 लोगों को दिया जीवनदान

CDS जनरल रावत ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया है. रावत कांगो के UN मिशन का हिस्सा थे. उस समय एक बड़ा हादसा हुआ. जिसमे बिपिन रावत ने समय रहते और अपनी सतर्कता से 7000 लोगों की जान बचाई थी.

जवानों की नौकरी बचाकर बने थे मसीहा

बिपिन रावत दुश्मनों के के लिए जितने सख्त थे,अपनी टीम के लिए उतने ही सहयोगी थे. वह हमेशा अपने जवानों की मदद के लिए आगे रहते थे. उनके सहयोगी बताते हैं कि कई बार उन्होंने अपने साथियों की नौकरी ख़तरे में आने से बचाई थी. पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल अश्विनी कुमार ने एक लेख में यह किस्सा साझा किया था. उन्होंने बताया था कि रावत जवानों के बीच खूब चर्चित थे. वे उनकी हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान जल्द कर दिया करते थे.

पद को लेकर नहीं था कोई भेदभाव

CDS जनरल बिपिन रावत ने ये किस्सा खुद साझा किया था, एक सैनिक उनके पास आया उसकी शिकायत थी कि शराब की लत के चलते उसे एफ-5 कैटेगरी में रखने और नौकरी से निकालने तक का आदेश जारी किया गया है. उसने कहा कि उसके एक अफसर को भी ऐसी भूल के कारण नशामुक्ति के प्रोग्राम में दाखिल कर दिया गया था, लेकिन उसके साथ भेदभाव हो रहा है.इस बात पर जनरल बिपिन रावत ने उसकी बर्खास्तगी रद्द करवा दी. और बोले कि जवान हो या अफसर, कोई भेदभाव नहीं होने दूंगा.

NDA में एंट्री का किस्सा

जनरल रावत ने ये बात कही थी कि ‘यूपीएससी द्वारा आयोजित नेशनल डिफेंस एकेडमी की लिखित परीक्षा पास करने के बाद उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया. इस सेलेक्शन के लिए मैं इलाहाबाद गया था, जहां 4 से 5 दिनों की सख्त ट्रेनिंग और टेस्टिंग के बाद फाइनल इंटरव्यू होना था.’ इंटरव्यू के लिए सभी कैंडिडेट एक कमरे के बाहर लाइन में खड़े थे और इसी बीच रावत थोड़ा नर्वस हो गए थे, क्योंकि ये मौका था जो NDA में उन्हे एंट्री दिला सकते था या फिर भविष्य तय कर सकता था.

माचिस की डिबिया बनी थी NDA में सेलेक्शन का कारण

जनरल रावत ने बताया था कि ‘इंटरव्यू हॉल में ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी मौजूद थे. उनसे उनकी हॉबी पूछी गई. उन्होंने बताया कि मुझे ट्रैकिंग का बहुत शौक है. फिर उनसे पूछा गया कि अगर आपको ट्रैकिंग पर जाना हो और वो ट्रैकिंग 4-5 दिन की हो तो वो एक सबसे अहम सामान का नाम बताएं जो आप अपने पास रखना चाहेंगे. इस पर उनका जवाब था कि ऐसी स्थिति में अपने पास माचिस रखूंगा, इस पर अधिकारी ने फिर पूछा कि माचिस ही क्यों? तो रावत जी कहते हैं कि माचिस से मैं बहुत सारे काम कर सकता हूं. ‘जब आदिकाल में मनुष्य जंगलों में रहा करता था तो उसने सबसे पहले आग की खोज की थी, इसलिए उनकी नजर में मेरे लिए माचिस ही सबसे जरूरी है. इस बात को सुनते ही बिपिन रावत का सेलेक्शन  हो गया.

2015 में मौत के मुंह से बचकर आए थे, पहाड़ी होने पर था गर्व

बहुत ही कम लोग जानते हैं कि साल 2015 में भी जनरल बिपिन रावत इसी तरह दुर्घटना का शिकार बने थे. उस समय वो नागालैंड में पोस्टेड थे, उनका हेलीकॉप्टर एक ऑपरेशन के दौरान क्रैश हुआ, इस हेलीकॉप्टर का नाम ‘चीता’ था. और ये भी काफी आधुनिक माना जाता था. इस हादसे के बाद उनके बचने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उन्हें सुरक्षित बचा लिया गया. इस घटना के बाद रावत ने कहा था ‘मैं पहाड़ी आदमी हूं, इतनी सी घटना में मरने वाला नहीं हूं, मैं गोरखा राइफल्स से हूं जो अपनी निडरता के लिए जाना जाता है, मैं उत्तराखंड की पहाड़ियों का हूं. वहां के लोग भी अपनी निडरता के लिए जाने जाते हैं’.

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