हरियाणा के VVIP गांव की ग्राउंड रिपोर्ट: कोरोना से लगातार हो रही मौते, नही आया कोई नेता हालचाल जानने

सिरसा | चंडीगढ़ से करीब 300 किलोमीटर दूर है सिरसा जिले का गांव चौटाला. इस गांव को VVIP गांव का दर्जा प्राप्त है. वजह- पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल भी यही से थे और वर्तमान उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी यही के रहने वाले हैं. बीजेपी के सिरसा जिला अध्यक्ष आदित्य देवीलाल सहित पांच एमएलए भी इसी गांव से हैं. इतने वीआईपी होने के बावजूद गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं का बेड़ा ग़र्क है और गांव का हेल्थ सिस्टम अधूरे स्टाफ व बुनियादी सुविधाओं की परेशानियों से जूझ रहा है.

corona checkup

चौटाला व आसपास के गांवों से कोरोना की दूसरी लहर के बीच ग्राउंड रिपोर्ट ली गई तो स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर सिर्फ लीपापोती नजर आईं. खुद वीआईपी गांव चौटाला में मेडिकल सुविधाओं की बात की जाए तो यहां बीते 15 दिनों से रोजाना 2 मौतें हो रही है. गांव में अभी तक कोई नेता हालचाल पूछने नहीं आया है और ना ही गांव में उचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सके, इसके लिए कोई विशेष प्रयत्न किए गए हैं. इस महामारी के दौर में अपने नेताओं की बेरुखी से ग्रामीणों में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है. नाराज ग्रामीणों का तो यहां तक कहना था कि कम से कम ये नेता गांव में आकर यही पुछ लेते कि गांव में कितने वोट कम हो गए तो कुछ तो सब्र हों जाता.

हर दूसरे घर में खांसी- जुखाम के मरीज

गांव के लोगों को अपने प्रदेश के हेल्थ सिस्टम से ही भरोसा उठ गया है और वे गंभीर मरीजों को इलाज के लिए राजस्थान के हनुमानगढ़ या पंजाब के भटिंडा अस्पताल में लेकर जातें हैं. आक्सीजन की जरूरत होने पर 28 किलोमीटर दूर डबवाली का रुख करना पड़ता है.
20,000 की आबादी वाले गांवों में फिलहाल 1108 कोरोना संक्रमित केस है , मतलब औसतन हर घर से एक मरीज कोरोना महामारी से जुझ रहा है. सरकारी आंकड़ों से गांव के लोगों की बातें मेल नहीं खाती लेकिन शमशान घाट में रोज 2 लाशों का अंतिम संस्कार हकीकत बयां कर रहा है.

कैंसर और उपर से कोरोना

ग्रामीणों का कहना है कि पीने का साफ पानी ना मिलने की वजह से भी कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है. गांवों में कैंसर के केस भी बढ़ रहें हैं और साथ ही हर घर में खांसी जुखाम व वायरल फीवर का कहर देखने को मिल रहा है. हर रोज पंजाब से आने वाली कैंसर ट्रेन में चौटाला गांव के 10-12 मरीज बीकानेर इलाज के लिए जाते हैं.

गांव के लोगों ने बताया कि गांव के हस्पताल में इनके पास न तो आक्सीजन सिलेंडर की सुविधा है और ना ही पर्याप्त स्टाफ एवं बुनियादी मेडिकल सुविधाएं. जब यहां से बड़े हस्पतालों में रैफर ही होना है तो फिर यहां जाने का फायदा भी क्या है.

चंदा करके करवा रहे हैं सैनिटाईजेशन

ग्रामीणों ने बताया कि पंचायतें भंग होने के बाद सैनिटाइजेशन का खर्चा भी अपनी जेब से भर रहे हैं. 40-50 घर मिलकर 15-20 रुपए इकट्ठा कर लेते हैं , उसके बाद डीडीटी और मेलीथरिन की दवा का छिड़काव गलियों में किया जाता है ताकि फैलती बीमारी पर काबू पाया जा सकें. चौटाला गांव के आस-पास के गांवों में भी कमोवेश यही स्थिति देखने को मिली.

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