टोक्यो पैरालंपिक में भारत के ध्वजवाहक रहे टेकचंद को मिली निराशा, अब तक का किया बेहतरीन प्रदर्शन

चंडीगढ़ । जापान के टोक्यो में पैरालंपिक मे भारत की मेजबानी करने वाले शॉट पुट प्लेयर टेकचंद को हार का सामना करना पड़ा. बता दें कि इस दौरान टेकचंद ने अपना अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया. शुक्रवार को पैरालंपिक में पुरुषों की शॉटपुट स्पर्धा के फाइनल में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस स्पर्धा के दौरान टेकचंद ने पहले प्रयास में फाउल किया, इसके बाद दूसरे प्रयास में 8.57 मीटर का थ्रो किया.

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कैटेगरी बदलने के बाद भी टेक चंद ने किया बेहतरीन प्रदर्शन

वहीं चौथे प्रयास में उन्होंने 9.04 मीटर थ्रो फेका. जो अब तक का उनका सबसे बेस्ट थ्रो था. बता दें कि टेक चंद ने केवल दो लीगल थ्रो किए. 6 प्रयासों में से 4 में वह फाउल कर गए. इस प्रतिस्पर्धा में आठवें स्थान पर रहे. वहीं ब्राजील के वोलैंस सैटोंस ने अपने नाम विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया. उन्होंने 12.63 मीटर का थ्रो कर पिछले विश्व रिकॉर्ड को तोड़ दिया. इससे पहले बुल्गारिया के खिलाड़ी ने इस स्पर्धा में 12.47 मीटर का थ्रो कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था. टेकचंद ने अपनी तैयारी f-54 कैटेगरी में भाला फेंकने की,  की थी, लेकिन टोक्यो ओलंपिक जाने के पश्चात पैरालंपिक कमेटी की ओर से की जाने वाली जांच में टेक चंद की कैटेगरी f-54 की बजाय f55 कर दी गई. जिस वजह से टेकचंद को भाला फेक  की बजाय गोला फेक में हिस्सा लेना पड़ा. वही टेकचंद ने कैटेगरी बदलने के बाद भी बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया.

वही विशेषज्ञों का कहना है कि बिना प्रैक्टिस के 9 मीटर तक गोला फेंकना आसान काम नहीं है. बता दे कि हरियाणा के जिला रेवाड़ी के बावल के निवासी टेकचंद 2005 में राजस्थान के भिवाड़ी स्थित एक कंपनी से लौटते समय दुर्घटना के शिकार हो गए थे. इस हादसे की वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बाद उन्हें 7 साल बेड पर रहना पड़ा. व्हीलचेयर पकड़ चुके टेकचंद ने भीम अवॉर्डी कोच सतवीर से बाला फेंकने की सलाह ली और इसमें अपना कैरियर बना लिया. पिता को खो चुके टेकचंद के परिवार में मां के अलावा बिजली बोर्ड में नौकरी कर रहा एक भाई है.

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