देशभर में ट्रकों की चाबियां कलेक्टरों को सौंपेंगे मालिक, जानिए क्यों

अम्बाला | वर्तमान समय में देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतें ऊंचाई छू रही है. ऐसे में अब यह कहना बिल्कुल ग़लत नहीं होगा कि यह महंगाई रिकॉर्ड तोड़ रहीं हैं. वहीं, अब कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 95 रूपये प्रति लीटर का आंकड़ा भी पार चुकी है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑइल की बढ़ती कीमतों से आशंका है कि यह आंकड़ा जल्द ही 100 रुपये प्रति लीटर के भी पार जा सकता है. यही सबसे बड़ी वजह है कि नाराज ट्रक मालिकों ने अब सरकार को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि वह पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों पर जल्द ही रोक लगाएं, नहीं तो फ़िर 15 दिन के बाद सभी ट्रक मालिक अपने वाहनों की चाबियां जिला कलेक्टरों के हवाले कर देंगे. इसी के बाद से अब तक कुल 3700 संगठन सरकार को इस मामले के संदर्भ में पत्र लिख चुके हैं.

TRUCK ROAD TRAFFIC

कपूर ने कहा कि चक्का जाम नहीं, कामबंदी करेंगे

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रवक्ता राजेंद्र कपूर जी ने सवांदाताओ से विशेष बातचीत करते समय स्पष्ट रूप से कहा है कि संस्था की ओर से बीते दिनों एक बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें सभी लोगो ने मिलजुल कर यह निर्णय लिया गया है कि अब सभी संगठन पहले केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर काबू पाने की अपील करेंगे. यदि इसके पश्चात फ़िर भी सरकार 14 दिनों में हमारी यह मांग पूरी नहीं की तो फ़िर हम चक्का जाम की जगह पर कामबंदी देंगे. कामबंदी के दौरान वह सभी ट्रक ड्राईवर अपने- अपने वाहनों की चाबियां इलाक़े के जिला अधिकारियो को सौंप कर अपना विरोध प्रकट करेंगे.

प्रति किलो मीटर तय किया जाए माल भाड़ा

ट्रक चालकों के संगठन सरकार से मांग करेंगे कि उनका माल भाड़ा भी ऑटो-टैक्सी की तरह प्रति किलोमीटर की दर से तय किया जाए। यह किराया तेल कीमतों से लिंक होना चाहिए। तेल कीमतों में बढ़ोतरी के साथ इसमें भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए। इससे देश के करोड़ों ट्रक मालिकों-चालकों को तेल की बेलगाम तरीके से बढ़ती कीमतों की मार से बचाया जा सकेगा। ट्रक मालिक-चालक इस समय भारी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।

मालभाड़े का 65 फ़ीसदी तेल पर होता है खर्च

राजेंद्र कपूर के अनुसार किसी भी माल भाड़े में करीबन 65 फ़ीसदी तक का खर्च पेट्रोल व डीजल का होता है. ऐसे में ईंधन की कीमतों में लगातार वृद्धि से ट्रक चालकों का घाटा बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि डीजल की कीमतों में वृद्धि की वजह से उनकी लागत बढ़ती जा रही है और उनके पास ट्रकों की ईएमआई (EMI) चुकाने तक के पैसे भी नहीं बच रहे हैं. इसी महंगाई के चलते अब हमें यह कठोर कदम उठाना पड़ रहा है.

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