भिवानी में डाडम पहाड़ खिसकने की बड़ी वजह आई सामने, रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी

तोशाम । हरियाणा के भिवानी जिलें के डाडम क्षेत्र में पहाड़ खिसकने से हुआ हादसा नई साल पर लोगों को दुखों की सौगात दे गया. खनन के लिए प्रसिद्ध खानक क्षेत्र में हुए इस हादसे में करीब एक दर्जन लोग मौत के मुंह में समा गए और अभी भी कुछ लोगों के मलबे के नीचे दबे होने की आंशका है. शनिवार सुबह करीब आठ बजे हुएं इस हादसे में आधा दर्जन से अधिक वाहन व वहां काम कर रहे कई लोग मलबे के ढेर के नीचे दब गए. राहत व बचाव का काम जोरों शोरों से किया जा रहा है लेकिन इस हादसे के पीछे की जो वजह निकलकर सामने आ रही है वह हैरान कर देने वाली है.

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इस दर्दनाक हादसे के कारणों की पड़ताल की जाए तो जानकारों का कहना है कि निर्धारित मापदंडों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई है, जिसके चलते इतना बड़ा हादसा हुआ है. जानकारों ने बताया कि खनन करने वाली कंपनियों ने 300 से 500 फुट गहराई तक खनन करके पहाड़ों को असंतुलित की स्थिति में पहुंचा दिया है. जिसका परिणाम यह हुआ कि पहाड़ भर-भराकर गिर पड़ा. लीज पर ली गई इन खदानों को पिछले 40 वर्षों के दौरान 300 से 500 फुट गहराई तक खोदा गया है जो हादसे की वजह बन गया.

किसी भी सरकार ने नहीं लिया एक्शन

राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि पिछले 40 सालों के दौरान हरियाणा में किसी भी दल की सरकार रही हों,सभी ने खनन कार्य के निर्धारित मापदंडों के नियमों की जमकर अवहेलना की है. सभी सरकारों ने अपने राजस्व को महत्व देते हुए यहां हों रही अनियमितता का आंख मूंद कर समर्थन किया है. करीब 6 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस क्षेत्र की पहाड़ की लीज को रद्द भी कर दिया था लेकिन मामला कोर्ट में गया और दोबारा फिर से खनन कार्य की अनुमति मिल गई.

बीजेपी सांसद ने उठाए सवाल

भिवानी से बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह ने इस दर्दनाक हादसे के लिए सीधे-सीधे यहां पर बरती जा रही अनियमितताओं और लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने इसके लिए खनन माफियाओं को कसूरवार बताया और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र में खनन माफियाओं की गुंडागर्दी जोरों पर है और यहां बदमाशों को तैनात कर गड़बड़ियों को छिपाया जाता है. वहां किसी को आने-जाने व जांच करने के लिए नहीं जाने दिया जाता है.

बता दें कि हरियाणा व आसपास के राज्यों में बढ़ते प्रदुषण के चलते खनन कार्य पिछले करीब 50 दिनों से बंद था. 30 दिसंबर की रात को परमिशन मिलने के बाद खनन कार्यों के लिए काटे गए बिजली कनेक्शनों को वापस जोड़ा गया था और 31 दिसंबर की सुबह खनन कार्य शुरू होने पर 24 घंटों के भीतर इतना बड़ा हादसा हो गया जो कई जिंदगियों को मौत के मुंह में ले गया.

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