इन युवाओं ने मास्टर डिग्री होने पर भी चुना पशुपालन व्यवसाय, पशुओं की खूबी ने दुनियाभर में दिलाई शोहरत

भिवानी । हरियाणा के भिवानी जिलें में चल रहे तीन दिवसीय पशु प्रदर्शनी मेले में प्रदेश भर से एक से बढ़कर एक अच्छी नस्ल के पशुओं को लेकर पशुपालक पहुंचे हैं. इन पशुओं में घोड़े, घोड़ी, मुर्रा झोटा व भैंस, बकरी व बकरे शामिल हैं. यहां पहुंचे ये पशु अपनी सुन्दरता व काबिलियत के दम पर हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. इन पशुओं को लेकर पहुंचे पशुपालक ज्यादातर युवा वर्ग से हैं.

Cow and Buffalo

इन युवाओं ने खूब पढ़-लिखकर डिग्रियां हासिल की लेकिन कभी नौकरी के लिए दौड़-धूप नहीं की. अनुभव न होने के बावजूद भी इन्होंने पशुपालन में हाथ आजमाया तो कामयाबी ने भी कदम चूमे. जुनून और जज्बे से कामयाबी हासिल की तो इन पशुओं की बदौलत खूब शोहरत भी हासिल हुई. इन पशुओं की बदौलत आज खूब सारा पैसा भी कमा रहे हैं. इन पशुपालकों ने बताया कि शायद इतना पैसा नौकरी में भी नही कमा पाते. आज पशुपालन में उनके हूनर और जुनून की दुनिया कायल हो गई है.

इन पशुपालकों ने बताया कि पशुपालन एक अच्छा व्यवसाय है. आपको खूब मेहनत करनी होगी और जितना भी अनुभव हासिल होगा, उतना ही आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. मेलें में लेकर पहुंचे इन स्पेशल पशुओं की न केवल नस्ल खास है, बल्कि उनकी ऊंचाई और आकर्षण भी मेले में आएं लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं.

एमए तक पढ़ा अरविंद उर्फ भोला

चरखी दादरी जिलें के झोझू कलां क्षेत्र के गांव असावरी के रहने वाले अरविंद ने एमए तक पढ़ाई की है. मास्टर डिग्री होने के बावजूद भी कभी नौकरी के पीछे नहीं भागे बल्कि खुद का घोड़ों का कारोबार शुरू किया. अरविंद ने बताया कि उसके पास इंडिया टॉप मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा है. बुर्ज खलीफा नाम के इस घोड़े की कीमत अब तक ढाई करोड़ रुपए लग चुकी है.

बुर्ज खलीफा इंडिया टॉप ग्रेड गैंबलर का बेटा है जो घुड़दौड़ में काफी विख्यात रह चुका है. घोड़ा ब्रीडिंग में इस्तेमाल हो रहा है जिसके जरिए उसे हर महीने करीब 5 लाख रुपए की आमदनी हो रही है. फिलहाल उसके पास आठ से दस घोड़े- घोड़ियां है. उन्होंने बताया कि सरकारी नौकरी में भी वो इतना नहीं कमा पाते और उपर से मारवाड़ी घोड़ों ने उसे देश-प्रदेश में भी अलग शोहरत दिलाई है.

शोहरत के साथ रोजी-रोटी का जरिया

एमएससी ज्योग्राफी से मास्टर डिग्री हासिल कर चुके हिसार निवासी पवन कुमार ने बताया कि उसके पास मारवाड़ी नुगरा नस्ल के नौ घोड़े और आठ घोड़ियां है. वह पिछले दस साल से इस कारोबार में हैं. घोड़ों के कारोबार ने उसे शोहरत की बुंलदियों पर तो पहुंचाया ही, साथ ही रोजी-रोटी का जरिया भी दिया है. उसका पांच साल का घोड़ा जांबाज ऑल इंडिया चैंपियन रह चुका है. ब्रीडिंग और घोड़ियों के कारोबार में उसे अच्छी- खासी आमदनी हो जाती है. उनके घोड़े और घोड़ियों का खास रंग और उनकी ऊंचाई लोगों को उनकी तरफ आकर्षित करती है.

वकालत के साथ घोड़ों का कारोबार

सोनीपत के रहने वाले मोनार्क भारद्वाज सोनीपत कोर्ट में वकालत के साथ घोड़ों का कारोबार भी करते हैं. उनकी आठ साल की घोड़ी रानी पिछले चार साल से लगातार चैंपियन का खिताब अपने नाम कर रही है. उसने 2-2 बाद झज्जर और गन्नौर एग्रो सीमेट में भी पुरस्कार जीते. रानी अब तक करीब तीन लाख के नकद पुरस्कार जीत चुकी है. रानी की एक साल की बेटी जुल्फी भी मेले में लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. घोड़ी रानी का पिता रामराज स्टेलियन घोड़ा और मां मारवाड़ी पंचकल्याण दोनों ही हरियाणा चैंपियन रह चुके हैं.

मर्चेंट नेवी के धर्मेंद्र को सुलतान भाइयों ने दिलाई पहचान

मर्चेंट नेवी में कार्यरत भिवानी जिले के गांव जीतवानबास निवासी धर्मेंद्र और उसका छोटा भाई बकरी पालन का व्यवसाय करते हैं. उनके पास सुल्तान और छोटा सुल्तान नाम के दो भाईयों का बकरों का जोड़ा हैं. इन बकरों की उंचाई और आकर्षण मेले में लोगों को दीवाना बना रहे हैं. दो साल से पशुपालन कर अच्छी खासी आमदनी कर रहे हैं. सिरोही नस्ल के एक बकरे की कीमत करीब दस लाख रुपए लग चुकी है.

श्याम हर महीने कमा रहा है 5 लाख

ढाणीमाहू का बारहवीं पास श्याम हर महीने 5 लाख रुपए तक कमा रहा है. उसके पास गुजरी नस्ल के बकरे व बकरियां हैं. उसके पास सुल्तान नाम का बकरा भी है जिसकी ब्रीडिंग से पैदा हुए बच्चे मुंबई तक जाते हैं.

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