पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, इस तारीख तक कोर्ट ने लगाई सुनवाई पर रोक

चंडीगढ़ | हरियाणा में एजेएल प्लॉट आवंटन मामला लंबे समय से सुर्खियों में है. इस बीच ताजा जानकारी सामने आ रही है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, हाईकोर्ट ने पंचकूला की निचली अदालत चल रही सुनवाई पर रोक लगा दिया गया है. मामले में अगली सुनवाई अब 9 अगस्त के बाद ही होगी. इसी के साथ हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआइ को नोटिस जारी कर जवाब देने का भी आदेश दिया है. पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट में एलजेएल प्लॉट आवंटन मामले की कार्रवाई लंबे समय से की जा रही है.

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क्या है पूरा मामला

भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बड़ा आरोप है कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान करोड़ों के प्लॉट को सस्ते दामों में अलॉट करवा दिया था. दरअसल 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए नेशनल हेराल्ड की सब्सिडी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) कंपनी को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट आवंटित करवाया था. हुड्डा और एजेएल पदाधिकारियों पर 2005 में अवैध तरीके से भूखंड को फिर से आवंटित करने का आरोप है. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ था.

एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कई लोग आरोपी हैं. इस मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत की ओर से भूपेंद्र हुड्डा सहित अन्य आरोपियों पर आरोप भी तय (चार्जेस फ्रेम) तय कर दिए गए हैं. कोर्ट ने मामले में आरोपियों पर धारा 120बी (साजिश रचना), 420 भारतीय दंड संहिता(धोखाधड़ी), 13 (2), 13 1 (डी) (भ्रष्टाचार अधिनियम) के तहत आरोप तय किए हैं.

पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा समेत मामले से जुड़े अन्य लोगों को आरोपी सिद्ध कर दिया गया था. लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए लगातार इस बात जोर दिया गया कि सीबीआई कोर्ट द्वारा पूरे मामले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को अनदेखा किया. हुड्डा द्वारा समय-समय पर सीबीआई कोर्ट की जांच पर सवाल उठाए जाते हैं जिस कारण एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में पूर्ण निर्णय आने में समय लग रहा है.

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