हरियाणा में गठबंधन तोड़ने को लेकर BJP की नई रणनीति, JJP के पाले में डाली गेंद

चंडीगढ़ | देशभर में किसी समय भी लोकसभा चुनावों का बिगुल बज सकता है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी- अपनी तैयारियों को अमलीजामा पहनाने में जुटे हुए हैं. लोकसभा चुनावों की तारीखें घोषित होने से पहले ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने शीट शेयरिंग को लेकर तैयारियां तेज कर दी है. पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 195 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है.

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा में भी बीजेपी सभी 10 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में उतरने की योजना बना चुकी है. इसको लेकर हरियाणा बीजेपी की ओर से केंद्रीय नेतृत्व को फीडबैक भी दे दिया गया है.

हरियाणा में BJP का प्लान

खास बात यह है कि हरियाणा में बीजेपी सभी 10 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. बीजेपी सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर गेंद JJP के पाले में डाल देगी, जिससे ये संदेश न जाए कि बीजेपी ने जजपा से गठबंधन तोड़ा है. भाजपा का मानना है कि सभी लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद JJP को गठबंधन को लेकर फैसला करना होगा कि उसे गठबंधन सरकार में बने रहना है या नहीं.

दिल्ली भेजा गया ये फीडबैक

हरियाणा को लेकर प्रदेश स्तर पर केन्द्रीय नेतृत्व को भेजे गए फीडबैक में बताया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर में प्राण- प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद राज्य में पूरी तरह से माहौल बीजेपी के पक्ष में बना हुआ है. हाल ही में, इसको लेकर पार्टी स्तर पर कराए गए सर्वे में भी 70% से ज्यादा लोगों ने इसकी सराहना की है. साथ ही, सभी 10 लोकसभा सीटों पर संभावित मजबूत दावेदारों का डाटा दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि सभी सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों की जीत निश्चित है.

विधानसभा में ज्यादा सीटें ऑफर करेगी

बीजेपी नेतृत्व ने JJP को लेकर B प्लान भी तैयार किया है. इसमें जजपा को लोकसभा की कोई सीट न देकर विधानसभा चुनाव में कुछ ज्यादा सीटें ऑफर की जा सकती हैं. पिछले दिनों बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी स्पष्ट कर चुके हैं कि हमारी पार्टी सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित करेगी.

शीट शेयरिंग पर बीजेपी को दो फायदे

यदि JJP लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करती है तो बीजेपी को एक मजबूत साथी मिल जाएगा. JJP का ज्यादातर वोट बैंक जाट और किसान मतदाता हैं, जो बीजेपी को पसंद नहीं करते हैं. अगर लोकसभा चुनावों में जजपा की वजह से बीजेपी को जाटों और किसानों के 1- 2 प्रतिशत वोट भी मिल जाते हैं तो यह प्लस का ही काम करेंगे.

यदि JJP प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाता है तो 6 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जेजेपी से गठबंधन तोड़ने या मोलभाव की वजह मिल जाएगी. ऐसे हालात में बीजेपी जजपा पर दबाव बढ़ा पाएगी. इस समय जजपा 10 विधायकों के साथ गठबंधन सरकार में शामिल हैं. लोकसभा चुनावों में उम्मीद के मुताबिक जजपा का प्रदर्शन नहीं रहने पर यदि बीजेपी उनके साथ गठबंधन से अलग होगी तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि 5 निर्दलीय विधायक सरकार को समर्थन दे रहे हैं.

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