हरियाणा सरकार के इस बड़े फैसले से मिटेंगे पारिवारिक झगड़े, इन प्लाटों की रजिस्ट्री को मंजूरी

चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने शहरों और कस्बों में रह रहे उन परिवारों को बड़ी राहत दी है जिन्होंने साल 1980 से पहले 200 वर्ग मीटर या उससे बड़े प्लाट खरीदकर रजिस्ट्री कराई थी. सरकार ने ऐसी जमीन के बंटवारे को मंजूरी प्रदान कर दी है. बता दें कि परिवार बढ़ने के साथ ही इस संपति का मौखिक बंटवारा तो हो जाता था लेकिन रजिस्ट्री न होने के चलते परिवार के बीच अक्सर झगड़े की नौबत आ जाती थी. सरकार के इस फैसले से अब परिवार के बीच जमीन के लिए झगड़े नहीं होंगे.

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बता दें कि सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में मई से हुई कैबिनेट मीटिंग में इस फैसले को स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसकी अधिसूचना अब जारी की गई है. शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव अरुण गुप्ता ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं. इसके तहत अब 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क लेकर बंटवारा किए गए प्लाटों की अलग-अलग रजिस्ट्री कराई जा सकेगी. कानूनी मान्यता मिलने पर इन प्लाटों को न केवल बेचने में आसानी होगी, बल्कि कोई व्यक्ति यदि उस जमीन पर स्वयं का मकान बनाना चाहता है या लोन लेना चाहता है तो उसे आसानी होगी.

इसके तहत प्लाट बंटवारे के लिए भूखंड 200 वर्ग मीटर से छोटा नहीं होना चाहिए. इसके अलावा एक शर्त और रहेगी कि विभाजित भूखंड का आकार किसी भी सूरत में 100 वर्ग मीटर से कम नहीं होना चाहिए. जैसे किसी व्यक्ति के पास 400 वर्ग मीटर का प्लाट है तो उसे चार हिस्सों में 100-100 वर्ग मीटर में बांटा जा सकेगा लेकिन इस प्लाट के पांच हिस्से नहीं हो सकतें हैं. इसके अलावा मूल लेआउट में दर्शाई गई सड़क से उप-विभाजित प्लाट तक पहुंच होनी चाहिए. हरियाणा बिडिंग कोड-2017 के तहत भूखंड के भीतर पार्किंग की व्यवस्था होनी अनिवार्य है.

अवैध रूप से उप विभाजित प्लाट और उप विभाजन के नियमितीकरण के लिए नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग को लाइसेंस फीस से डेढ़ गुणा अधिक फीस का भुगतान करना होगा. नए उप-विभाजन के लिए नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग द्वारा अधिसूचित लाइसेंस फीस (आवासीय प्लाट) लागू होगी. पार्क, पार्किंग या सार्वजनिक सुविधाओं के अंतर्गत आने वाले विभाजित प्लाटों को मान्यता नहीं दी जाएगी.

प्लाटों के बंटवारे के लिए यह होगी शर्तें

  • प्लाट न्यूनतम 200 वर्ग मीटर का हो.
  • आवेदक के पास जमाबंदी, म्यूटेशन के दस्तावेज होने चाहिए.
  • हरियाणा बिडिंग कोड-2017 के अनुसार मकान का नक्शा पास होना चाहिए.
  • आवेदक को एक बांड भरना होगा कि भवन के कारण किसी भी दुर्घटना के मामले में आवेदक जिम्मेदार होगा और जुर्माने का भुगतान करेगा. स्थानीय निकाय और सरकार किसी भी तरह से इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे.

शरणार्थियों को सबसे ज्यादा फायदा

सरकार के इस फैसले का लाभ सबसे ज्यादा उन शरणार्थियों को होगा जो बंटवारे के वक्त हिंदुस्तान में शरणार्थी बनकर आए थे. तब सरकार ने इन्हें विभिन्न शहरों और कस्बों में रहने के लिए प्लाट आवंटित किए थे. लंबे समय से ये परिवार प्लाट विभाजन को कानूनी मान्यता देने की मांग कर रहे थे क्योंकि परिवार में सदस्य बढ़ने के बावजूद इन प्लाटों की टुकड़ों में रजिस्ट्री नहीं हो पा रही थी.

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