हरियाणा के इन 3 गांवों को पहली और दूसरी लहर में टच नहीं कर पाया कोरोना, वजह जान हो जायेंगे हैरान

चरखी दादरी | कोरोना महामारी ने जिले में अपना कहर इस कदर ढहाया कि 2 साल में 135 संक्रमित मरीजों की जिंदगी लील हो गयी. कोरोना महामारी का खौफ हरियाणा के चरखी दादरी जिले के सभी 175 गांव में था मगर इनमें से तीन गांव बिंद्राबन, कारीदास, नौरंगवास, राजपूतान ऐसे हैं जिनकी समझदारी और जागरूकता से वहाँ कोरोना संक्रमण पहुँच ही नहीं पाया. इन गावों में रिश्तेदारों को आने दिया गया, और न ही बूढ़े बुजुर्गों को हुक्का व ताश खेलने दिया गया.यहीं नहीं अगर किसी घर में कोई बीमार भी है तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग की टीम को बुलाकर उपचार करवाते, और एक सप्ताह तक घर के सभी लोगों को बाहर नहीं निकलने दिया जाता. बल्कि ऐसे लोगों को खुद गांव के लोग घर पर आवश्यक खाद्य सामग्री उपलब्ध करवातें थे.

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यही समझदारी रही कि तीनों गांव पूरे जिले के लिए प्रेरणा बन गए हैं. मार्च महीने में ही कोरोना वायरस रफ्तार पकड़ने लगा था ऐसे में मार्च महीने में ही गांव के अड्डे पर 11 लोगों की कमेटी बनाकर चौकी शुरू करवा दी थी इसके बाद दूसरे गांव या जिले के लोगों को पूर्ण महामारी को लेकर सभी को जागरूक किया, और जब सभी लोग अपने घरों में ही बैठकर अलग से हुक्का पीते. ताश खेलना गांव में बिल्कुल बंद हो गया है वहीं संक्रमण का खात्मा करने के लिए गांव को बार-बार सैनिटाइजर भी करवाया गया. यही कारण है कि गांव मे एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं आया है.

गांव नौरंगाबास के पूर्व सरपंच महेश कुमार ने बताया कि हर तरफ कोरोना महामारी से लोग बीमार हो रहे थे तो कई लोग संक्रमण से अपनी जान गंवा रहे थे, और कोई उपचार भी नहीं है. ऐसे में अगर गाव को इस महामारी से बचाया जा सकता था तो वे सभी की सहमति से फैसले और जागरूकता से ऐसे में पूरे गांव की सर्वसम्मति से बाहर से अलग कोई नौकरी करने वाला यह कोई रिश्तेदार प्रवेश करता है, तो उसे पहले कोरोना टेस्ट रिपोर्ट दिखानी पड़ती है. यह गांव के लोगों पर भी लागू है जो बाहर नौकरी करते हैं कई दिन में आते हैं इसके अलावा गांव के खेतों में भी सब्जी उगाएं हुए है.

ग्रामीण सिर्फ अपने खेतों से ही फल व सब्जी खरीद खाते थे. बाहर से कोई भी फेरी लगाने वाले सब्जी वाले को नहीं आने दिया गया इससे ग्रामीणों द्वारा प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए गए फैसले में इजाफा हुआ. जिसके कारण संक्रमण गांव में प्रवेश नहीं कर पाया बावजूद इसके सप्ताह में एक बार पूरे गांव को सैनिटाइज करवाया जाता रहा है. सभी ग्रामीण मुनादी के बाद अपनी इच्छा से घर पर ही रहते हैं सभी लोग अपने घर पर ही बैठकर का हुक्का पीते हैं.

गावों को किया जाएगा सम्मानित

जिला उपायुक्त अमरजीत सिंह मान ने कहा कि दादरी जिले के लिए बड़ी खुशी की बात है. जिले के तीन गांवों में सरकार की गाइडलाइन व अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए अपने गांव को महामारी से बचाए रखा है. अन्य गांव व अन्य लोगों को भी इससे प्रेरणा मिली है, और डीसी ने जल्द ही गांव को सम्मानित किया जाने की बात कही है.

सभी गांवों के लिए प्रेरणा

जिले में 175 गांव हैं इनमें से सिर्फ तीन गांव ऐसे हैं जहाँ के लोगों ने अपनी समझदारी से कोरोना संक्रमण को गांव में घुसने नहीं दिया. ऐसे गांव सभी के लिए प्रेरणा हैं, स्वास्थ्य विभाग की टीम का भी इस गांव में काफी सहयोग किया है. बता दें समझदारी रही कि तीनों गांव पूरे जिले के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. मार्च महीने में ही कोरोना वायरस रफ्तार पकड़ने लगा, ऐसे में तभी से तीनों गावों के अड्डे पर 11 लोगों की कमेटी बनाकर चौकी शुरू करवा दी थी. इसके बाद दूसरे गांव या जिले के लोगों को पूर्ण महामारी को लेकर सभी को जागरूक किया गया- डिप्टी सीएमओ डॉक्टर संजय गुप्ता

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