हांसी किले के शिखर पर 5 एकड़ जमीन पर बनेगा पार्क

हिसार । पुरातत्व विभाग हांसी किले की चोटी पर एक हरे भरे पार्क का निर्माण करने जा रहा है. यह पार्क पांच एकड़ जमीन में विकसित किया जाएगा. पार्क के निर्माण के लिए विभाग ने एस्टिमेट तैयार करने के साथ पैमाईश का काम भी पुरा कर लिया है.

पुरातत्व विभाग के अधिकारी इस मसले पर यहां बार-2 दौरा कर रहे हैं. पार्क का निर्माण करने से पहले यहां एक ट्यूबवेल लगवाया जाएगा. क्योंकि पार्क निर्माण के लिए पानी का स्त्रोत सबसे जरूरी होता है. पृथ्वीराज चौहान के नाम से प्रसिद्ध इस किले के शिखर पर हरा भरा पार्क बनने से इस किले की वैल्यू ओर बढ़ जाएगी. इसके बनने से पर्यटकों की तादाद में भी इजाफा होगा. जो पर्यटन यहां रुटीन में आते जाते रहते हैं,उनको भी किले की चोटी पर बैठने व पेयजल आदि की सुविधा मिल सकेगी, क्योंकि इस पार्क में पर्यटकों के बैठने के लिए बेंच व कुर्सियां रखी जाएगी. सैलानियों को धुप व बारिश से बचाव के लिए यहां सुंदर शेड बनाएं जाएंगे.

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इस किले का वैसे तो विस्तृत इतिहास है,मगर अब यह खंडहर हालात में है. किले को नीचे से देखते हुए पर्यटन जब उपर की चोटी पर पहुंचते हैं तो वहां पर खंडहर किले के अलावा कुछ नहीं दिखता. किले की चढ़ाई ज्यादा होने से शिखर तक पहुंचते पहुंचते शैलानी थक जाते हैं. वहां पहुंचने के बाद खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली बात हो जाती है. ऐसे में एकदम वापस लौटना भी मुश्किल हो जाता है और वहां किले के उपर पर्यटकों के लिए बैठने की कोई सुविधा नहीं है. न ही वहां पर पेयजल की व्यवस्था है.

किले पर चढाई करने के बाद और इस विशाल किले में घुमते घुमते पर्यटकों को प्यास भी लग जाती है. विभाग ने अब यहां पेयजल का प्रबंध करने की भी योजना की है. अब तक इस किले में घुमने आने वाले पर्यटकों को अपने वाहन किले से बाहर शहर की गलियों में छोड़कर आने पड़ते थे, लेकिन जिस तरह से विभाग की तैयारियां चल रही है, उससे लगता है कि जल्द ही यहां पर पार्किंग की व्यवस्था भी की जाएगी. पर्यटन के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों जैसे मनभावन मौसम, दर्शनीय आकर्षण,सरल उपयोग, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आकर्षण, आराम और मनोरंजन तथा रोमांच शामिल हैं. शहर से करीब 50 फीट ऊंचाई पर स्थित इस किले पर हरा-भरा तथा आधुनिक पार्क बन जाने से शहर के लोग भी इस पार्क में आएंगे. क्योंकि इतनी ऊंचाई पर सैर करना सब को रोमांचित करेगा, क्योंकि इतनी ऊंचाई पर हवा का प्रवाह भी तेज होगा.

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