दबंगों के बहिष्कार के बाद 150 दलित परिवारों का खाना- पीना हुआ मुश्किल, नहीं मिल पा रही दवा

जींद । हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के विधानसभा क्षेत्र उचाना का गांव छातर है. बता दे कि जींद जिले का यह गांव पिछले 15 दिनों से दो खेमों में बटा हुआ है. यहां के एक दलित युवक से कुछ दबंगों ने मारपीट की. जिसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दी गई. इससे नाराज होकर दबंगों ने गांव के 150 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया. इस समय गांव के एक तरफ मांगू बागड़ मोहल्ले में रहने वाले दलित परिवार है तो दूसरी तरफ दूसरी जाति के लोग हैं.

Police Photo

जींद जिले का यह गांव दो खेमों में बंटा

बता दें कि छातर गांव काफी बड़ा है यहां तकरीबन 12000 वोटर है. गांव की कुल आबादी में 80% जाट समुदाय है. वही गांव की सामूहिक पंचायत के ऐलान के मुताबिक गांव में रहने वाला ऊंची जाति का कोई आदमी बहिष्कार मोहल्ले की ओर नहीं जाएगा. अगर उस मोहल्ले में कोई जाता है तो उसका भी बहिष्कार कर दिया जाएगा. गांव के मांगू बागड़ मोहल्ले में रहने वाले दलितों को गांव में आने की इजाजत नहीं है.  वे अपने मोहल्ले तक ही सीमित है. जिस वजह से वे किसानों के खेत में काम पर भी नहीं जा पा रहे. गांव के दुकानदार इन परिवारों को सामान और सब्जी तक नहीं दे रहे हैं. बता दें कि इन परिवारों के लोगों को गांव से बाहर जाने के लिए ऑटो वाले तक नहीं बिठाते. हद तो तब हो गई जब कोई बीमार हो तो डॉक्टर उसे दवाई भी नहीं देते. 150 परिवार हर उस शख्स के आगे हाथ जोड़ रहे हैं,  जिसके बारे में उन्हें लगता है कि वह उनका बहिष्कार खत्म करवा सकते हैं.

परंतु हर जगह से उनके हाथ मायूसी की लग रही है. दैनिक भास्कर की टीम गांव छातर पहुंची. उन्हें पीड़ितों के घर ढूंढने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा. गांव का कोई भी आदमी दलित के घर का रास्ता बताने को तैयार नहीं था. जैसे ही इस विवाद पर बातचीत की जाती तो गांव के लोग बिना कुछ कहे ही वहां से चले जाते. जैसे तैसे कर कर रिपोर्टर मांगू बागड़ मोहल्ले में पहुंचे,  तो 2 गलियों में बटा मोहल्ला पूरी तरह सुनसान दिखाई दिया. मुख्य गली के मुहाने पर तैनात दो पुलिसकर्मी पीड़ितों की सुरक्षा और आने-जाने वालों पर नजर बनाए हुए थे. जब रिपोर्टर्स ने घर का दरवाजा खटखटाया तो किसी ने भी गेट नहीं खोला. सभी परिवार इतने डरे हुए हैं कि कैमरे के सामने भी नहीं आए. उन्हें लगता है कि अगर ऊंची जाति वालों के खिलाफ कुछ बोल दिया तो उनका गांव में रहना मुश्किल हो जाएगा.

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