हरियाणा की बेटी मधु ने सेल्फ स्टडी करके नाम किया रोशन, बचपन में धमकाकर सुलाते थे पिता

जींद | मधु के संघर्ष की सफलता का स्वाद भी शहद जैसा है. सोना आग में तपकर कुंदन बनता है, मधु भी उसी तरह लगातार संघर्ष करके सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही है. बारहवीं के बाद ट्यूशन पढ़ा कर अपना खर्च खुद निकालने वाली मधु का दाखिला आईआईटी पुणे में पीएचडी के लिए हुआ है. पीएचडी के बाद मधु का सपना प्रोफेसर बनना है.

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कृष्णा कॉलोनी निवासी मधु धीमान ने पहली से बारहवीं तक निजी स्कूल में पढ़ाई की. घर की आर्थिक हालत कमजोर थी, इसलिए ट्यूशन पढ़ाना सोच भी नहीं सकती थी. स्कूल में मन लगाकर पढ़ाई की और घर पर घंटों सेल्फ स्टडी की. 10 वीं में 89.4 और 12वीं नॉन मेडिकल में 92.6% नंबर आए. बीए हुई तो परिवार के सदस्य कहने लगे कि घर पर रहकर प्राइवेट पढ़ाई कर लेगी. तब मां सुदेश ने साथ दिया और राजकीय महिला महाविध्यालय में बीएससी नॉन मेडिकल में दाखिला कराया, यहाँ से मधु का संघर्ष शुरू हो गया.

बीए प्रथम वर्ष में कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया, जो अब तक जारी हैं. मधु कहती हैं कि जब वे ग्रेजुएशन सेकंड ईयर में थी, जब कोचिंग सेंटर बीए प्रथम वर्ष के बच्चों को पढ़ाया. ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में थी, तब भी बीए सेकंड, फाइनल ईयर के बच्चों को पढ़ाया. काफी बच्चों को बाद में पता चला कि ट्यूशन पढ़ाने वाली मैडम भी हमारी क्लासमेट है.

धमकाकर सुलाते थे पिता

यह सब कैसे मैनेज करती इस पर मधु कहती हैं, कि कॉलेज के बाद कोचिंग सेंटर पढ़ाने जाती थी. शाम 6 बजे घर पहुंचती थी. खाना खाकर 7 बजे पढ़ाई शुरू करती थी और रात 2 से 3 बजे तक पढ़ती थी. कई बार पिताजी सुबह 4 बजे उठते, तब भी पढ़ती रहती. पिताजी धमकाकर सुलाते थे. सुबह कॉलेज से पहले साढ़े 7 बजे ट्यूशन पर एक बैच पढ़ना होता था. ऐसे में छ या साढ़े 6 बजे तक उठ जाती थी. 25 से 30 मिनट मे मेडिटेशन करती थी. जिससे नींद की कमी पूरी हो जाती थी और भरपूर एनर्जी मिल जाती थी. ग्रेजुएशन के तीनों साल 2015 से 2018 तक कॉलेज में टॉपर रहीं, सीआरएसयू से एमएससी मैथ में 80% नंबर के साथ दूसरे नंबर पर रही.

IIT में देशभर से मात्र 7 बच्चे

मधु ने बताया कि पुणे आईआईटी में पीएचडी के लिए देशभर से हजारों बच्चों ने आवेदन किया था. इन आवेदनों में से छंटनी करके लिखित परीक्षा ली गई थी, फिर इंटरव्यू के लिए 82 बच्चे सेलेक्ट हुए थे. सेकंड राउंड के इंटरव्यू में 17 बच्चे थे और फाइनल सेलेक्शन साथ बच्चों का हुआ है. इस उपलब्धि पर विधायक डॉ कृष्ण मिढ़ा ने भी मधु को अपने आवास पर बुलाकर सम्मानित किया. मधु ने बताया कि लॉकडाउन में अपना यूट्यूब चैनल शुरू करके उस पर वीडियो डाली जिसे लगभग 2500 बच्चे देखते हैं.

मुझे पढ़ाने में आता है मज़ा

मधु को रिश्तेदार कह रहे हैं कि यूपीएससी की तैयारी कर लो. पढ़ने बोलने में अच्छी है. मधु कहती हैं कि उसे विश्वास है कि वे यूपीएससी को भी क्लियर कर लेगी, लेकिन उस तरफ उसकी रूचि नहीं है. पहले ट्यूशन पढ़ाना मजबूरी थी, लेकिन अब तो पढ़ाने में मज़ा ही आता है. एक घंटा पढ़ा लेती हूँ तो माइंड फ्रेश हो जाता है और प्रोफेसर बनने का लक्ष्य है. यही लक्ष्य लेकर आईआईटी से पीएचडी कर रही हूँ. मधु कहती हैं कि मोबाइल का सदुपयोग कम हो रहा है दुरुपयोग ज्यादा.

खुद पढ़कर दिखाया दम

मधु ने बताया कि नौवीं व दसवीं में अविनाश सर ने इतने अच्छे तरीके से पढ़ाया है कि मैथ में रुचि बढ़ गयी. ग्यारहवीं में टीचर ट्यूशन लगाने के लिए फोर्स करते थे. घर की आर्थिक हालत कमजोर थी, इसलिए सेल्फ स्टडी की. ट्यूशन लगाने से टीचर कटने लग गए थे. उनका ट्यूशन वाले बच्चों पर ज्यादा फोकस रहता था. ट्यूशन वालों के मुझसे कम नंबर आने पर उनकी क्लेपिंग करवाई जाती थी. उसे इग्नोर किया जाता. मैं पूछती तो इरिटेट हो जाती. तभी ठान लिया कि कुछ करके दिखाना हैं. खुद पढ़कर क्लास में टॉपर रहीं.

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