5 मई को लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानिये उपछाया चंद्र ग्रहण के बारे में

ज्योतिष | विक्रम संवत 2080 का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगने वाला है. शास्त्रों में वैशाख के महीने को श्रेष्ठ महीना माना जाता है. वैशाख महीने की द्वितीय तिथि यानि 22 अप्रैल को देव गुरु बृहस्पति ने भी राशि परिवर्तन किया था जो ग्रहों के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण था.

chandra grahan

इस महीने में अक्षय तृतीया, गंगा सप्तमी, दुर्गा अष्टमी, सीता नवमी, मोहिनी एकादशी तथा भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार चतुर्दशी तिथि के दिन होने के कारण नरसिंह चतुर्थी व्रत भी इसी महीने में आता है.

इस वजह से बढ़ जाता है वैशाख पूर्णिमा का महत्व

बता दें कि भगवान विष्णु के 2 अवतार वैशाख शुक्ल पक्ष में होने की वजह से वैशाख शुक्ल पक्ष अपने आप में श्रेष्ठ एवं पवित्र महीना माना जाता है. बुद्धपूर्णिमा भी श्रेष्ठ तिथि है इस दिन सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती हैं. साथ ही, इस दिन किया गया कार्य सकारात्मक फल प्रदान करता है. पूर्णिमा के दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. इस वजह से इस तिथि का अपने आप में महत्व बढ़ जाता है.

इस दिन स्नान दान और व्रत करने का भी विशेष महत्व है. इस साल 5 मई 2023 यानी शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि मनाई जाएगी. अबकी बार पूर्णिमा तिथि के दिन ही चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है.

कब होती है चंद्र ग्रहण की स्थिति

खगोलीय दृष्टि से देखा जाए तो पृथ्वी जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में होती है तो सूर्य का प्रकाश रोक लिया जाता है और चंद्रमा पर नहीं पड़ता. परिणाम स्वरूप चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ जाती है यही चंद्र ग्रहण की स्थिति होती है. इसके कारण दोनों ग्रहों का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है और उपछाया चंद्रग्रहण में चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं होता. यह सामान्य दिनों की तरह ही नजर आता है परंतु जब ध्यान से देखा जाए तो यह थोड़ा मटमैला रंग का नजर आएगा.

इसका प्रमुख कारण वास्तविक चंद्रग्रहण ना होकर पृथ्वी पर चंद्रमा की उपछाया पड़ना है. कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके ही बाहर निकल जाता है और भूभाग में प्रवेश नहीं करता, उस पर धरती की वास्तविक छाया नहीं पड़ती.

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