148 साल बाद शनि जयंती पर सूर्यग्रहण, जानिए क्यों खास है ये दिन

बहादुरगढ़ । इस बार 10 जून यानि गुरुवार को विशेष संयोग बन रहा है. यह दिन इसलिए भी विशेष बन गया है क्योंकि इसी दिन वट सावित्री व्रत,शनि जयंती और साल 2021 का पहला सूर्यग्रहण भी है. जानकारों के मुताबिक ऐसा संयोग 148 वर्ष पहले बना था. हालांकि उत्तर भारत में सूर्यग्रहण के दीदार नहीं होंगे तो वट सावित्री व शनि जयंती पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सूर्य पुत्र शनि का जन्म हुआ था. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से शनिदेव की पूजा अर्चना करने पर उनकी कृपा बनी रहती है और तमाम परेशानियों से मुक्ति मिलती है.

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जी हां, इस बार शनि जयंती बहुत ही खास है क्योंकि इसी दिन सूर्यग्रहण भी लग रहा है. हालांकि यह ग्रहण आंशिक ग्रहण होगा और भारत के पूर्वी उत्तर- प्रांत के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा. इसलिए शेष भारत में इस सूर्यग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और न ही किसी राशि पर इसका कोई प्रभाव पड़ेगा. भारतीय समय के अनुसार दोपहर 1:42 बजे सूर्यग्रहण आरंभ होगा और शाम को 6:41 बजे खत्म होगा. इस वक्त अपने पिता सूर्य की चाल की वजह से शनि अपनी स्वयं राशि मकर में वक्री हैं और शनि जयंती पर ही सूर्यग्रहण लगने जा रहा है.

पंडित शिव कुमार पाराशर ने बताया कि ऐसा संयोग 148 साल पहले 26 मई 1873 में बना था. उनके मुताबिक भारत में सूर्यग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होगा. सूतक नहीं लगने के कारण मंदिरों के कपाट खुले रहेंगे. शनि की कृपा बनाए रखने के लिए लोग मंदिरों में दीपक जलाकर पूजा अर्चना करेंगे.

पंडित शिव कुमार जी ने बताया कि शनिदेव भगवान सूर्य एवं माता छाया का पुत्र है. उनके अनुसार अमावस्या दोपहर 3 बजकर 15 मिनट तक रहेंगी. इसी दिन वट सावित्री का व्रत विवाहित व अविवाहित दोनों महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है. अविवाहित महिलाएं मनचाहा वर प्राप्त करने हेतु सावित्री पर्व पर पूजा करतीं हैं जबकि विवाहिता स्वजनों की लंबी उम्र की कामना करती है.

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