6 अक्टूबर को बन रहा पितृपक्ष अमावस्या का योग, 11 साल के बाद आया ऐसा संयोग, जानिए इस दिन के श्राद्ध का महत्व

बहादुरगढ़ । इस वर्ष पितरों की विदाई तथा श्राद्ध पक्ष की समाप्ति बुधवार 6 अक्टूबर को की जाएगी. यह समाप्ति गज छाया योग मे होगी. मान्यता यह है कि गज छाया योग में पूरे विधि विधान के साथ श्राद्ध करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है. पारिवारिक उन्नति और संतान से सुख पाने के लिए लोग श्राद्ध करते हैं.

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पंडित महेंद्र शर्मा के मुताबिक कुतुप काल में गज छाया योग इस बार 21 साल बाद बन रहा है. ऐसे सहयोग में श्राद्ध और दान करना काफी शुभ माना जाता है. 7 अक्टूबर 2010 में पहले ऐसा संयोग देखा गया था. इसके बाद अब 8 साल बाद अर्थात साल 2019 में फिर से 7 अक्टूबर को यह संयोग बनेगा. इस बार पितृ पक्ष की अमावस्या बुधवार को पड़ रही है, जो कि काफी शुभ है. बता दें कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही बुध की राशि में यानी कि कन्या राशि में रहेंगे. इस गज छाया योग का प्रमाण स्कंद पुराण और महाभारत में भी पाया गया है.

इस तिथि नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर बनने वाले इस शुभ संयोग में श्राद्ध करना काफी लाभदायक और इसका काफी महत्व बताया गया है. पितरों के लिए किए गए श्राद्ध को शुभ संयोग में करना अक्षय फल प्राप्ति का माध्यम है. श्राद्ध को करने से घर में सुख- शांति और समृद्धि आती है. गज छाया योग में श्राद्ध और दान करने से पितरों को अगले 12 साल तक के लिए तृप्ति मिल जाती है.

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