हरियाणा में वैज्ञानिकों ने खोजी टमाटर, बैंगन और शिमला मिर्च की नई किस्म, चार गुना अधिक मिलेगी पैदावार

करनाल | हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन नीति की बदौलत आज प्रदेश का किसान परम्परागत खेती का मोह त्याग कर आधुनिक खेती का रूझान कर रहा है. नई- नई तकनीकों से खेती कर किसान समृद्ध बन रहें हैं और उनकी आमदनी में भी इजाफा हो रहा है. ऐसी ही एक नई तकनीक वर्टिकल फॉर्मिंग है जिसकी मेहनत से किसान बेहतर सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. इस तकनीक की बदौलत आप बिना जमीन के सब्जियां उगा सकते हैं.

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करनाल के घरौंडा में स्थित इंडो इजरायल सब्जी उत्कृष्ट केन्द्र में वैज्ञानिकों ने बिना मिट्टी के वर्टिकल फॉर्मिंग के माध्यम से सब्जियां उगाकर नया कीर्तिमान बनाया है. सेंटर इंचार्ज सुधीर यादव ने बताया कि इस तकनीक से खेती करने पर चार गुना प्रोडक्शन किया जा सकता है.

वर्टिकल फॉर्मिंग खेती

सेंटर इंचार्ज ने बताया कि जिस तरह से जमीन की उपजाऊ शक्ति घट रही है,उसका एक ही समाधान है और वह है वर्टिकल फॉर्मिंग. यह भविष्य की खेती है और किसानों को वर्टिकल फॉर्मिंग की खेती से प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में उपजाऊ मिट्टी की समस्या है वहां इस तकनीक का इस्तेमाल कर आसानी से सब्जियां उगाई जा सकेगी.

सब्जी उगाने से ज्यादा फायदा

सुधीर यादव ने बताया कि बेल की सब्जी उगाने से किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचेगा. उन्होंने बताया कि बेल वाली तकनीक से पहले ही घीया, करेला, खीरा और तोरई की खेती की जा रही है लेकिन यहां वैज्ञानिकों ने नए बीज पर रिसर्च करके शिमला मिर्च, बैंगन, टमाटर को बेल वाली सब्जी में तब्दील कर दिया है, जिसकी लंबाई करीब 10 फीट होती है. इस तकनीक से खेती पूरे भारत में इसी सेंटर पर की गई है.

कैसे करें वर्टिकल फॉर्मिंग

इसके लिए कोकोपीट तकनीक से पौधे के लिए बेस तैयार किया जाता है. इसमें पौधे को जरुरत के हिसाब से पोषक तत्वों की मात्रा कोकोपीट के जरिए उपलब्ध कराई जाएगी. यह पॉलिथिन की क्यारी नुमा पोर्टेबल बेस है. इसमें सब्जी को रोपित कर रस्सी या बांस के सहारे उसे उंचाई की ओर ले जाया जाता है. इस तरह से न जमीन की जरूरत होती है और न ही मिट्टी की. यह बहुत ही आसान तकनीक है और कुछ समय की ट्रेनिंग के बाद इस तकनीक की मदद से आप अपने खेत में सब्जी की खेती कर सकते हैं.

पोषक तत्वों से भरपूर होगी सब्जी

पोषक तत्वों की कमी की वजह से जिन इलाकों में जमीन की हालत बेहद खराब हो चुकी है, वहां पर ये तकनीक किसी वरदान से कम नहीं होगी. इस तकनीक से जहां एक ओर किसानों को लाभ मिलेगा तो वहीं लोगों को अच्छी गुणवत्ता के साथ पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी खाने को मिलेगी. कोकोपीट में हर पोषक तत्व देने का एक निश्चित फार्मूला है. इसलिए पौधे को इतना ही खाद, पानी और दवा दी जाती है,जो हमारे स्वास्थ्य के अनुकूल हो.

चार गुना उत्पादन

सुधीर यादव ने बताया कि इस तकनीक में थोड़ा खर्च अधिक होगा लेकिन उत्पादन भी चार गुना ज्यादा रहेगा. खास बात यह है कि यह संरक्षित खेती है और इससे अगली फसल कर किसान बाजार से सब्जी का अच्छा खासा भाव ले सकता है. इस तकनीक से तैयार की गई सब्जी केमिकल रहित होगी जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी.

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