केवल 15 हजार में शुरू करें इस प्लांट की खेती, 3 महीने में होगी तीन लाख तक की कमाई

नई दिल्ली । नैचुरल प्रोडक्ट और मेडिसिन की मार्केट इतनी बड़ी है कि इसमें लगने वाले नैचुरल प्रोडक्ट्स की हमेशा डिमांड बनी रहती है. यदि मेडिसिनल प्लांट की खेती का व्यापार किया जाएं तो इसमें लागत तो कम हैं ही , साथ में लंबे टाइम तक कमाई भी सुनिश्चित हो जाती है.बता दें कि मेडिसिनल प्लांट की खेती के लिए न तो लंबे-चौड़े फॉर्म की आवश्यकता होती है और न ही शुरुआत में ज्यादा इनवेस्मेंट की जरूरत है. इस खेती के लिए आप कॉन्ट्रेक्ट पर भी खेत लें सकतें हैं. आजकल कई कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट के जरिए किसानों को औषधीय खेती के लिए प्रेरित कर रही है. शुरुआत में इसकी खेती के लिए आपको कुछ हजार रुपए इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत पड़ती है लेकिन फिर कमाई भी लाखों रुपए में होती है.

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इन चीजों की कर सकते हैं खेती

अधिकतर हर्बल प्लांट जैसे तुलसी, एलोवेरा, मुलेठी, आर्टीमीसिया और एननुआ आदि बहुत कम समय में तैयार होने वाले पौधे है. इनमें से कुछ पौधों को छोटे-2 गमलों में भी तैयार किया जा सकता है. इन दिनों कई दवा कंपनी ऐसी है जो फसल खरीदने तक का अनुबंध करती है, जिससे कमाई सुनिश्चित हो जाती है.

3 महीने में 3 लाख की कमाई

आमतौर पर हिंदु धर्म में तुलसी की पुजा की जाती है लेकिन औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी कमाई का जरिया भी बन सकती है. तुलसी के पौधे के कई प्रकार होते हैं जिनसे यूजीनोल और मिथाइल सिनामेट प्राप्त होता है . इसके इस्तेमाल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवा तैयार की जाती है. एक हेक्टेयर भूमि पर तुलसी की खेती करने पर केवल 15 हजार रुपए का खर्च वहन करना होता है , लेकिन तीन महीने बाद ही यह फसल तीन लाख रुपए तक बिक जाती है.

इन कंपनियों के साथ जुड़े

तुलसी फार्मिंग भी डाबर, पतंजलि, वैधनाथ आदि आर्युवेद दवाएं बनाने वाली कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट खेती करवा रही हैं,जो फ़सल को सीधा अपने माध्यम से ही खरीदती है. तुलसी के बीज और तेल की मार्केट में बड़ी डिमांड रहती है. हर दिन नई कीमत पर तेल और तुलसी बीज की बिक्री होती है.

जरुरी है ट्रेनिंग

औषधीय पौधों की खेती के लिए सबसे पहले आपको अच्छी तरह से प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा, जिससे कि आप भविष्य में धोखे का शिकार न हों. लखनऊ स्थित सेट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट (सीमैप) इस खेती के लिए प्रशिक्षण देता है. सीमैप के माध्यम से ही दवा कंपनी आपसे कॉन्ट्रैक्ट साइन करती है जिससे आपको फसल बिक्री के लिए इधर-उधर नहीं जाना पड़ेगा.

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