दिल्ली में बीते एक सप्ताह में हार्ट अटैक से 8 लोगों की मौत, अटैक की चौंकाने वाली वजह आई सामने

नई दिल्ली | देशभर में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. अकेले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बीते एक सप्ताह में हार्ट अटैक के 65 मामले सामने आ चुके हैं. डाक्टरों ने इन्हें बचाने का हरसंभव प्रयास किया है मगर फिर भी 8 लोगों को हार्ट अटैक की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी है. मौत का कारण हार्ट अटैक तो था लेकिन अटैक आने की जो वजह सामने आई है उससे हर कोई हैरान रह गया है.

Heart Attack

पायलट स्टडी में सामने आया है कि जिनकी मौत हुई है उन्हें ठंड से बचाव हेतु रात में मुंह को कंबल या रजाई से ढककर सोने की आदत थी. जिन आठ लोगों को हार्ट अटैक की वजह से जान गंवानी पड़ी है, उनमें से 4 एम्स में अटैक आने के बाद पहुंचे थे जबकि दो जीबी पंत हॉस्पिटल और दो सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे थे.

मुंह ढककर सोने के दुष्परिणाम

AIIMS के डिपार्टमेंट ऑफ कॉर्डियोलॉजी डॉ राकेश यादव ने बताया कि ह्रदय (हार्ट), फेफड़ों में विकृत संबंधी रोगियों को रात को सोते समय रजाई या फिर कंबल से मुंह व नाक ढककर सोने से बचना होगा. उन्होंने बताया कि ठंड के दौरान तापमान में गिरावट आ जाती है जिससे ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं. शरीर में खून का संचार अवरोधित होने से हर्ट तक आक्सीजन की मात्रा कम पहुंचती है.

इसका मतलब यह है कि हर्ट को शरीर में खून और आक्सीजन पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. जिसके चलते हार्ट अटैक के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हार्ट अटैक का झटका तब लगता है जब शरीर की आवश्यकतानुसार आक्सीजन और पोषण तत्वों की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त खून पंप नहीं कर पाता है. इसकी वजह से हर्ट कमजोर पड़ जाता है और समय के साथ ह्रदय की मांसपेशियां सख्त हो जाती है.

हर्ट अटैक से बचाव के उपाय

  • ठंड से बचाव के लिए नाक और मुंह को ढककर नहीं सोना चाहिए.
  • हर्ट को सेहतमंद रखने वाली एक्सरसाइज करते रहना चाहिए.
  • नमक और पानी की मात्रा सर्दी में कम कर देनी चाहिए क्योंकि पसीने के माध्यम से यह बाहर नही निकल पाता है.
  • ब्लड प्रेशर की जांच करवाते रहें.
  • ठंड की वजह से होने वाली परेशानियां जैसे कफ, कोल्ड, फ्लू आदि से खुद को बचाए रखने की कोशिश करनी चाहिए.

स्लीप एपनिया की हो सकती है समस्या

LNJP अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि स्लीप एपनिया की बीमारी से जूझ रहे लोगों को सोते समय सांस लेने में परेशानी होती है. ऐसे लोगों की सोते समय सांस रुक जाती है और घबराहट में वे उठ जाते हैं. कई बार तो एक मिनट तक सांस रुक जाता है. ऐसे लोगों के लिए रजाई से मुंह ढककर सोना खतरनाक साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि रातभर रजाई के अंदर मुंह ढककर सोने से मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है.

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