सुप्रीम कोर्ट ने नूह में दाखिल हिंदुओं के अत्याचार की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार, यह था पूरा मामला

नूह | हरियाणा के मुस्लिम बहुल जिले नुह मेवात में हिंदुओं पर अत्याचार और जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह याचिका अखबारों की खबरों के हिसाब से दायर की गई. हम इस मामले पर सुनवाई नहीं करेंगे. जनहित याचिका में हिंदूओ के जबरन धर्म परिवर्तन, हिंदुओं की संपत्तियों की जबरदस्ती गैरकानूनी बिक्री और हिंदू लड़कियों पर अत्याचार की एसआईटी से  जांच कराए जाने की मांग की गई.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से किया इनकार

वही साथ ही केंद्र सरकार को नुह में  अर्धसैनिक बल तैनात करने आदेश देने की मांग भी की. याचिका में कहा गया कि वहाँ रहने वाले हिंदू दहशत में जीने को मजबूर है. वकील रंजना अग्निहोत्री और 4 अन्य ने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए दाखिल याचिका में कोर्ट से कहा कि हरियाणा के नूह मेवात में रह रहे हिंदुओं की दशा बेहद खराब हो गई है. इसलिए उनके जीवन में स्वतंत्रता, धार्मिक आजादी आदि मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाए. साथ ही, इसमें कहा गया कि नूह मेवात में मुस्लिम अधिक संख्या में है. जिस वजह से उनका दबदबा है और वे लोग लगातार हिंदुओं के जीवन और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

नूह में हिंदूओ पर किया जा रहा है अत्याचार 

वहीं राज्य सरकार जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस कानून का इस्तेमाल करने में नाकाम रही है. याचिका में कहा गया कि नूह मेवात में करीब 431 गांव हैं. जिनमें से 103 गांव पूरी तरह हिंदू विहीन है. वही 82 गांव में सिर्फ नाम मात्र के हिंदू परिवार है. मेवात में उनकी आबादी तेजी से घट रही है. इसकी वजह से जनसंख्या का स्वरूप बदल रहा है जो राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा होगा. बड़ी संख्या में हिंदुओं को उनके घरों से बेदखल किया जा रहा है . हिंदू महिलाओं और लड़कियों पर भी अत्याचार किए जा रहे हैं.

याचिका में मांग की गई कि पलायन कर रहे हिंदुओं को वहां फिर बसाया जाए. पिछले 10 सालों में हिंदुओं की संपत्तियों की जबरदस्ती या दबाव में मुसलमानों के पक्ष में हुई सेल डील रद्द की जाए.

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