हरियाणा के छोरे ने किया कमाल, बनाई को- टर्मिनेटर शील्ड, जाने खूबियां

रेवाड़ी । कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और इस कथन को सार्थक कर दिखाया है , रेवाड़ी के दसवीं कक्षा के एक छात्र ने. टेक्नोलॉजी के इस युग में इस छात्र ने को- टर्मिनेटर शील्ड बनाकर कमाल कर दिया. इस को टर्मिनेटर शील्ड को इस तरह से डिजाइन किया गया है,जिसे इस्तेमाल करने पर मेडिकल स्टाफ को पीपीई किट पहनकर इलाज के दौरान होने वाली दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. छात्र हार्दिक ने बताया कि यें को- टर्मिनेटर शील्ड एयर कूलिंग टैक्नोलॉजी से लैस है. एयर फिल्टर, मोबाइल एप्लिकेशन से कनेक्टिविटी सहित तमाम फीचर्स इस शील्ड में जोड़ें गए हैं. छात्र हार्दिक ने कहा कि फिलहाल उनका लक्ष्य इस शील्ड को बुलेटप्रूफ बनाना है ताकि सीमाओं पर गर्मी- सर्दी में तैनात हमारे जवान भी इस शील्ड का इस्तेमाल कर सकें.

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मूल रूप से हरियाणा के अंबाला निवासी 16 वर्षीय हार्दिक रेवाड़ी के कम्ब्रेज स्कूल में 10 वीं कक्षा के छात्र हैं. हार्दिक ने कहा कि उन्होंने को- टर्मिनेटर शील्ड बनाने से पहले कोरोना काल के अनुभवों को लेकर काफी डॉक्टरों से बातचीत की कि उन्हें किस तरह की परेशानी झेलनी पड़ी. डॉक्टर्स ने बताया कि पीपीई किट पहनकर इलाज करने से गर्मी,घुटन और सांस फूलने जैसी परेशानियों सहित विभिन्न परेशानियों को झेलना पड़ा. छात्र हार्दिक ने इन बातों को ध्यान में रखते हुए शरीर के तापमान को मेंटेन करने के लिए को- टर्मिनेटर शील्ड को तैयार किया.

इस को- टर्मिनेटर शील्ड के इस्तेमाल के तरीके पर हार्दिक ने बताया कि इस शील्ड का वाईजर एंटी फोग है जिसके उपरी हिस्से में एक इमरजेंसी बटन लगा हुआ है जो मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए एक ऑटो संदेश भेजेगा. इसी तरह से इस शील्ड में एक पाइप के जरिए तापमान को अपने अनुकूल के हिसाब से बनाया जा सकता है. करीब 300 ग्राम वजनी इस शील्ड को ठंडा रखने के लिए करीबन 10 इंच का एक कूलिंग सिस्टम बनाया गया हैं जिसमें आइस जैल डालकर इस्तेमाल किया जाएगा.

इसके साथ ही एक खास आइयोनाइजर नाम के एक डिवाइस को इससे कनेक्ट किया गया है जिससे कोई भी वायरस शील्ड पहने व्यक्ति से 6 मीटर दूर ही रहेगा. हार्दिक ने बताया कि इस शील्ड को बुलेटप्रूफ बनाने के लिए इस प्रोजेक्ट पर अभी और अधिक काम कर रहे हैं. हार्दिक ने कहा कि उन्होंने अपना प्रोजेक्ट पेटेंट करा लिया है ताकि कोई इसे कॉपी न कर सके. वहीं स्वास्थ्य सेवाओं में इस्तेमाल कराएं जाने के लिए आईसीएमआर में पंजीकरण के लिए काम किया जा रहा है.

 

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