तारा बाबा की कुटिया है आस्था का केंद्र, दूर-दूर से आते है श्रद्धालु

सिरसा | हरियाणा के सिरसा शहर का नाम धार्मिक स्थलों के नाम से ही प्रचलित है, लेकिन यहां एक ऐसा स्थान भी है जहां श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटक भी आते हैं. यह स्थान श्री तारा बाबा की कुटिया है. शायद ही ऐसा कोई शख्स होगा जो सिरसा शहर में आया हो और उसने तारा बाबा कुटिया के दर्शन न किए हैं. बता दे कि यह धार्मिक स्थल आकर्षण का  केंद्र है. इसके कुछ रोचक रहस्य भी है.

Tara Baba ki Kutiya

आकर्षण का केंद्र है तारा बाबा की कुटिया

बता दे कि रानिया रोड स्थित रामनगरिया गांव के समीप बनी श्री तारा बाबा कुटिया करीब 25 एकड़ में फैली हुई है. यहां मुख्य गेट से लेकर कुटिया के अंदरूनी हिस्से और दीवारों पर बनी देवी-देवताओं के चित्र नजर आते हैं. इस कुटिया में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा बनी हुई है. यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों में बॉलीवुड हस्तियां भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती है. इनमें हेमा मालिनी, संजय दत्त, धर्मेंद्र, सुनील शेट्टी, अनुराधा पौडवाल, कविता पौडवाल सहित अनेक कॉमेडियन व हास्य कलाकार जैसे नामचीन हस्तियां शिरकत कर चुकी है.

तारा बाबा कुटिया का निर्माण वर्ष 2003 में किया गया था. बता दें कि इसके निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका कांडा बंधुओं की रही. तारा बाबा का जीवन एक ब्रह्मचारी संत के रूप में था. उनका जन्म हिसार जिला के गांव पाली में हुआ था. उनके पिता जमीदार व पशु व्यापारी थे. जब वह 3 वर्ष के थे उनके माता पिता का देहांत हो गया था. उसके बाद उनकी बुआ उन्हें सिरसा ले आई.

 इस तरह की थी बाबा ने ज्ञान की प्राप्ति

10 साल की उम्र से ही उन्होंने ध्यान भक्ति में लगाना शुरू कर दिया. उसके बाद उन्होंने समय बाबा बिहारी जी की सेवा में व्यतीत किया. 14 साल की आयु में तारा बाबा ने बिहारी बाबा के शिष्य बाबा शयोराम से नाम ले लिया. उसके बाद वहीं शहर के पास वन में तप करने चले गए. लेकिन रामनगरिया गांव वाले मिन्नत कर उन्हें गांव ले आए. उन्हे गांव के बाहर एक कुटिया बना कर दी.

बाबा ने कई साल तक यहां तपस्या की और मौन धारण किया. वह शिवरात्रि को अक्सर कुटिया से बाहर निकलते थे. 23 जुलाई 2003 को बाबा हरिद्वार में शिवरात्रि के दिन स्वर्ग सिधार गए. बता दें कि इस कुटिया के अंदर करीब 71 फुट ऊंची शिव भगवान की प्रतिमा बनी हुई है और उनके साथ नंदी की भी प्रतिमा है. विधायक गोपाल कांडा और उसके छोटे भाई गोविंद कांडा ने ही तारा बाबा के नाम से कुटिया का निर्माण करवाया.

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