हरियाणा बॉर्डर खुलवाने को लेकर बैठक में शामिल नहीं होंगे किसान नेता, यह हैं बड़ी वजह

सोनीपत | हरियाणा सरकार की ओर से गठित की गई स्टेट लेवल कमेटी के न्योते पर बार्डर खुलवाने को लेकर होने वाली बैठक में किसान नेताओं ने शामिल होने से इंकार कर दिया है. इस मीटिंग को लेकर पंजाब की 32 जत्थेबंदियों की शनिवार को सोनीपत में कुंडली बार्डर पर एक लंबी बैठक चली जिसमें यह निर्णय लिया गया कि सरकार द्वारा गठित कमेटी के साथ होने वाली मीटिंग में किसान नेता नहीं जाएंगे. बैठक के बाद किसान नेता मनजीत सिंह ने बताया कि हरियाणा सरकार की कोर कमेटी के साथ हम बैठक नहीं करेंगे , क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश जारी किया है वह हरियाणा सरकार को किया गया है और हम उसमें पार्टी नही है. जत्थेबंदियों की इस बैठक में डॉ दर्शन पाल और बलबीर राजेवाल समेत अनेक बड़े नेता मौजूद थे.

Karnal Mahapanchayat Kisan

बलबीर राजेवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेशों में किसान पार्टी नही है और जबाब सरकार से मांगा गया है तो सरकार ही जबाब देगी. सरकार किसानों को अपने जाल में फंसाना चाहती है लेकिन किसान सरकार की हर चालाकियों से वाकिफ हैं . रास्ते सरकार ने बंद किए हैं तो वही खोले. किसान नेताओं ने कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि जब आक्सीजन सिलेंडर लाने-लेजाने में इधर-उधर से घूम कर जाना पड़ रहा था तो किसानों ने सरकार से दिल्ली की तरफ रास्ते पर बनाई दीवार हटाने को कहा था लेकिन सरकार नहीं मानी. अब सुप्रीम कोर्ट ने जबाब मांगा है तो किसानों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. सरकार किसानों के कंधों का इस्तेमाल कर बंदुक चलाना चाहती है लेकिन कृषि कानूनों की वापसी समेत अन्य मांगों को पूरा करवाएं बिना हम कुंडली बार्डर से नहीं हटेंगे.

तय कार्यक्रम के अनुसार होगी बैठक

डीसी ललित सिवाच ने बताया कि सरकार की ओर से गठित कमेटी की बैठक तय समय पर होगी. उनका किसानों से भी आग्रह है कि जनहित की भलाई के लिए सरकार का सहयोग करें और बैठक में शामिल हों. चूंकि सुप्रीम कोर्ट में जबाब दाखिल करना है तो कमेटी की मीटिंग जरुर होगी. किसान नेताओं से उम्मीद करता हूं कि वो इस बैठक का हिस्सा बनेंगे.

किसान आंदोलन को एक साल पूरा

बता दें कि नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. आंदोलन को एक साल पूरा होने पर शनिवार को टिकरी बार्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की सभा में वक्ताओं ने किसान आंदोलन के लगातार चलने को एकता का परिणाम बताया और एकता बनाए रखने पर बल दिया. किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन की सफलता के लिए हमें सभी को साथ लेकर चलना होगा.

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