यमुनानगर | हरियाणा की मनोहर सरकार परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बागवानी और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है. इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं. सरकार की इस पहल का अनुसरण कर सूबे के बहुत से किसानों की गिनती प्रगतिशील किसानों में हो रही है. कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है, यमुनानगर जिले के गुरनाम सिंह सैनी ने जिन्होंने 3 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर दिखाया है.
पूरे साल फूलों की उपलब्धता
गुरनाम सिंह सैनी तीन एकड़ भूमि पर 3 किस्म के गेंदे, गुलदावरी और ग्लैड के फूलों की खेती कर रहे हैं. आधे- आधे एकड़ भूमि को इस तरह से विभाजित कर खेती कर रहे हैं कि पूरे साल फूलों की उपलब्धता सुनिश्चित रह सकें. बाजार में फूलों की अच्छी कीमत मिलने से सालाना 15 लाख रूपए तक कमा रहे हैं.
सरकार से सब्सिडी का लाभ
किसान गुरनाम ने बताया कि वह हर आधे एकड़ में क्रम से फूलों की खेती करते हैं, जिससे साल भर खेतों में फूलों की उपलब्धता बनी रहती है. ग्लैड का बीज जो काफी महंगा होता है. इस खेती में परिश्रम ज्यादा है तो कमाई भी खूब होती है. सरकार भी फूलों की खेती करने पर सब्सिडी प्रदान कर रही है. उन्होंने बताया कि ग्लैड की एक सटीक की कीमत 10 रूपए से लेकर 100 रुपये तक होती है. इस लेख को पढ़कर गुलाब की खेती के बारे में जान सकते हो.
अन्य लोगों को भी दे रहे रोजगार
गुरनाम ने बताया कि 2012 में छोटे स्तर पर फूलों की खेती शुरू की तो बहुत ही समस्याएं भी झेलनी पड़ी, लेकिन धीरे- धीरे रूचि बढ़ी तो परम्परागत खेती से बिल्कुल ही मोह भंग हो गया. आज 3 एकड़ जमीन से 15 लाख रूपए कमा रहे हैं तो परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है. देहरादून, पांवटा साहिब और यमुनानगर से खरीदार उनके खेत में फूल खरीदने पहुंचते हैं.
फूलों की छंटाई, निराई और गुड़ाई के काम के लिए मजदूरों की जरूरत रहती है तो 15- 20 लोगों को रोजगार मिल रहा है. प्रत्येक मजदूर रोजाना 500 रूपए की आमदनी कर रहा है. उन्होंने अन्य किसानों से भी आग्रह करते हुए कहा कि बागवानी और ऑर्गेनिक खेती से किसान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं और कर्ज के जंजाल से मुक्ति पा सकते हैं.
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