हरियाणा के किसान ने की आदमी से दोगुने लम्बे गन्ने की पैदावार, चर्चा का बना विषय

यमुनानगर | हरियाणा के खंड रादौर के एक गांव दोहली में युवा किसान वागीश कुमार की मेहनत आसमान छूने वाली है.जुलाई माह में 12-13 फीट गन्ना चर्चा का विषय बना रहता है. यह अब से पहले दो बार बंधा हुआ है और तीसरा चल रहा है. खास बात यह है कि गन्ने के साथ-साथ लहसुन की फसल भी तैयार की गई थी. किसान के मुताबिक उसने सिर्फ लहसुन की फसल को खाद और खुराक दी है. लेकिन इसका फायदा गन्ने की फसल को हुआ है. गन्ने की फसल को अतिरिक्त खुराक देने की जरूरत नहीं है. बता दें कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले महीने जल संरक्षण के क्षेत्र में उनके सराहनीय कार्य के लिए उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है.

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30 वर्षीय प्रगतिशील किसान वागीश कुमार ने बताया कि उन्होंने 12 सितंबर को गन्ना बोया था. खुद से खुद की दूरी चार फीट रखी गई थी. साथ ही लहसुन लगाया. लहसुन की फसल मार्च-अप्रैल के महीने में तैयार हो जाती थी. करीब 30 क्विंटल लहसुन का उत्पादन हुआ. इसके बाद निराई-गुड़ाई की गई. आमतौर पर किसान गन्ने की बिजाई सरसों और गेहूं की कटाई के बाद ही करते हैं, लेकिन अगर सितंबर-अक्टूबर के महीने में किया जाए तो उपज भी अधिक होती है और दूर की फसल के साथ-साथ बोनस भी मिलता है. गन्ने की फसल को अतिरिक्त खुराक देने की जरूरत नहीं है. इस दौरान गन्ने के साथ-साथ प्याज, पत्ता गोभी और दालों की भी बेहतर खेती की जा सकती है.

फसल कीड़ों और बीमारियों से सुरक्षित

उत्पादक किसान के अनुसार यदि गन्ने के साथ लहसुन या प्याज की फसल की जाती है तो उसे विशेष लाभ मिलता है. इन दोनों फसलों की गंध गन्ने की फसल पर काला कीड़ा और शीर्ष छेदक जैसे कीड़ों द्वारा हमला नहीं किया जाता है. फसल पूरी तरह सुरक्षित है. हालांकि इस बार गन्ने की फसल टॉप बोरर की चपेट में रही है. किसानों को भारी नुकसान हुआ. बचाव के लिए दवाओं का छिड़काव भी किया गया. लेकिन जिस गन्ने के खेत में लहसुन और प्याज की फसल थी वह सुरक्षित रहा.

सीढ़ी से बांधना होगा

इन दिनों गन्ने की तीसरी बंधाई चल रही है. गिरने से बचाने के लिए फरवरी-मार्च तक कई और बांधे जाएंगे. अब जमीन पर खड़े होना या बेंच से बांधना संभव नहीं होगा. बल्कि सीढ़ी का सहारा लेना पड़ेगा. किसान वागीश ने बताया कि अक्टूबर की बुवाई का बड़ा फायदा यह है कि मिल इसे प्राथमिकता के आधार पर खरीदती है और इसकी बॉन्डिंग मुंडा में ही की जाती है. कटाई जनवरी-फरवरी में की जा सकती है.

उपज 600 क्विंटल पार करने की उम्मीद

गन्ने की वर्तमान स्थिति को देखते हुए 600 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन की उम्मीद है. जबकि सामान्य विधि से तैयार गन्ने की उपज 400-450 क्विंटल रहती है. किसान वागीश कुमार का कहना है कि अगर विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार और खेती के आधुनिक तरीकों को अपनाकर बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सकती है. साथ ही फसल पर होने वाले खर्च में भी कमी लाई जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर किसान की आमदनी में इजाफा होगा. किसान को मेहनत जरूर करनी पड़ेगी, लेकिन परिणाम सकारात्मक रहेगा.

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