हरियाणा की सरकारी भर्तियों में मिलने वाले सामाजिक- आर्थिक मानदंड के 5 अंक पर रोक, TGT भर्ती में देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

चंडीगढ़ | जैसा कि आप सभी जानते हैं हरियाणा (Haryana) की सरकारी भर्तियों में हरियाणा सरकार (Haryana Govt) ने 1.80 लाख रुपये तक की सालाना पारिवारिक आय वाले परिवारों को सरकारी नौकरी में सामाजिक- आर्थिक मानदंड के 5 अंक देने का प्रावधान किया हुआ है. अब TGT भर्ती में इसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई है. हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करके इन अंकों पर रोक लगा दी है. हालांकि, अभी फाइनल फैसला नहीं आया है लेकिन यह दूसरी भर्तियों कों प्रभावित कर सकती है.

HIGH COURT

फिलहाल अदालत में चल रहा है टीजीटी भर्ती से जुड़ा केस

टीजीटी के 7,471 पदों पर भर्ती प्रक्रिया फिलहाल अदालत में केस होने की वजह से रुकी हुई है. अरुण कुमारी एवं अन्य ने केस दायर कर अदालत को बताया कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के विज्ञापन संख्या 02/ 2023, दिनांक 21.02.203 के तहत टीजीटी नियुक्त करने के लिए आवेदन मांगे थे. इस विज्ञापन के क्लॉज 12 के अनुसार 5 फीसदी अंक सामाजिक- आर्थिक मानदंड के दिए जाएंगे. इसी तरह की क्लाज हरियाणा सरकार ने विज्ञापन संख्या 20 दिनांक 20.12.2022 के तहत की थी, जिसे इसी अदालत में चुनौती दी गई थी.

31 जनवरी 2024 को होगी सुनवाई

इसमें 20 फीसदी अंक सामाजिक-आर्थिक मानदंड के तय किए थे. पद सहायक इंजीनियर से जुड़े थे. इस याचिका पर इसी अदालत ने 19.01.2023 को अंतरिम आदेश पारित कर सामाजिक- आर्थिक मानदंड के अंकों कों रोक दिया. रोक का यह अंतरिम आदेश अभी तक बना हुआ है. अब अरुण कुमारी एवं अन्य मामले में जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस सुखविंद्र कौर की खंडपीठ ने 15 दिसंबर 2023 को प्रतिवादीगण को नोटिस ऑफ मोशन जारी करते हुए, जवाब दायर करने के लिए सुनवाई 31 जनवरी 2024 को निर्धारित की है.

अदालत ने  हरियाणा सरकार की थी प्रशंसा

इस याचिका को 20 फीसदी अंकों को चुनौती देने वाली याचिका के साथ सुना जाएगा. साथ में यह भी कहा गया कि अंतरिम आदेश उसी टर्म्स पर जारी रहेगा. यानी जो अंतरिम आदेश 19.01.2023 को पारित है. वहीं, अंतरिम आदेश इस याचिका में भी जारी होगा. इसका मतलब यह हुआ कि टीजीटी भर्ती में फिलहाल सामाजिक- आर्थिक मानदंड के 5 फीसदी अंक देने पर रोक बनी रहेंगी. इन अंकों को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहले भी चुनौती दी गई थी. उस वक़्त जस्टिस एबी चौधरी और जस्टिस एचएस मदान की खंडपीठ ने 07.12.2018 को याचिकाओं का निपटारा करते हुए सही ठहराया था और सरकार की तारीफ की थी.

इस आदेश में लिखा था, ‘हम पाते हैं कि उपरोक्त सभी तीन प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन नहीं करते हैं और इसलिए, हम इसके बारे में तकों का खंडन करते हैं. इसके विपरीत, हम पाते हैं कि हरियाणा सरकार ने अपने विवेक से स्नातकों और स्नातकोत्तरों, उन परिवारों की दुर्दशा को समझा, जिन्होंने कभी कोई सरकारी रोजगार नहीं देखा है और विमुक्त जनजाति (विमुक्त जाति और टपरीवास जाति) या खानाबदोश जनजाति से संबंधित सदस्य हैं, को बमुश्किल कोई सरकारी नौकरी मिल सकी. हमें उस समझदारी की सराहना करनी चाहिए जिसके साथ हरियाणा राज्य ने ये प्रावधान किए हैं.’

उम्मीदवारों की मांग जल्द पूरी हो भर्ती

गौरतलब है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग इस समय ग्रुप सी के 32,000 पदों पर भर्ती कर रहा है. इनके लिए ग्रुप सी का सीईटी पास होना अनिवार्य है. सीईटी पास उम्मीदवार ही पुलिस पदों के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे. टीजीटी के लिए एचटेट पास होना जरूरी था. वैसे भी टीजीटी भर्ती से जुड़े दो केस हाईकोर्ट में अलग से चल रहे हैं. एक अनुभव से संबंधित है तो दूसरा एचटेट से जुडा है. टीजीटी उम्मीदवार मांग कर रहे हैं कि सरकार इस भर्ती को अदालत से रोक हटवाकर जल्द भर्ती पूरी करें.

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