हरियाणा में ब्राह्मणों को मिली 1700 एकड़ जमीन, अधिनियम में किया संशोधन

चंडीगढ़ | हरियाणा में दोहलीदारों (गरीब ब्राह्मण, पुजारी और पुरोहित) को वर्षों पहले दान की गई जमीन के मालिकाना हक पर बड़ा निर्णय खट्टर सरकार (Khattar Govt) ने लिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि अब वे इस जमीन को किसी को बेच सकेंगे. जमीन बेचने पर कोई रोक नहीं होगी. इसके लिए हरियाणा दोहलीदार, बूटीमार, भोनेदार और मुकारीदार (स्वामित्व अधिकार निहित) अधिनियम में संशोधन किया गया है. इसके तहत, दान में मिली जमीन को निजी व्यक्तियों और संस्थाओं को बेचने पर कोई रोक नहीं होगी.

Manohar Lal Khattar CM

सभी डीसी को दिए गए निर्देश

इस संदर्भ में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के वित्त आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने सभी जिला उपायुक्तों को आदेश जारी किये हैं. उपायुक्तों से कहा गया है कि वे जिले के सभी निबंधन पदाधिकारियों को संबंधित दोहलीदारों द्वारा उनके पक्ष में भूमि के म्यूटेशन की मंजूरी के बाद बिक्री कार्यों को आगे पंजीकृत करने के लिए अच्छी तरह से जागरूक करें.

सीएम ने की थी घोषणा

बता दें कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले साल 11 दिसंबर को करनाल में आयोजित भगवान परशुराम महाकुंभ में दोहलीदारों को करीब 1,700 एकड़ जमीन का मालिकाना हक देने की घोषणा की थी. अब इस घोषणा को मूर्त रूप दे दिया गया है.

ब्राह्मण समाज के लोगों ने बनाया था दबाव

ब्राह्मण समाज के लोग दोहलीदारों को जमीन का मालिकाना हक देने के लिए सरकार पर काफी समय से दबाव बना रहे थे. इसके लिए राज्य स्तरीय संघर्ष समिति का भी गठन किया गया है. बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार ने दोहलीदारों को जमीन का मालिकाना हक देने का फैसला किया.

कांग्रेस ने किया था कड़ा विरोध

गौरतलब है कि करीब चार साल पहले 2018 में कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने दोहालीदारों, बूटीमारों, भोनेदारों और मुकरारीदारों को दान में मिली जमीन के मालिकाना हक को अनुचित बताया था और नियम बना दिया था कि दोहालीदार इस जमीन को खरीद या बेच नहीं सकते. ऐसी भूमि पर केवल खेती ही की जा सकती है. हालांकि, जब विधानसभा में संशोधन बिल लाया गया तो कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया.

ये है दोहली भूमि

आपकी जानकारी के लिए बता दिया जाए कि प्राचीन काल में गरीब ब्राह्मणों, पुजारियों और पुजारिनों को फसल बोने के लिए भूमि दान में दी जाती थी. यह जमीन पंचायती जमीन थी, जिस पर उनका मालिकाना हक तो नहीं था लेकिन फसल बोकर अर्जित आय को अपने ऊपर खर्च करने का अधिकार था. इस वर्ग के लोगों को दोहलीदार कहा जाता है.

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