16 महीने की बच्ची का दुनिया का पहला अनोखा ऑपरेशन, बच्ची ने ब्रेन ट्यूमर को हराया

चंडीगढ़ । चंडीगढ़ पीजीआई में एक अनोखा ऑपरेशन किया गया है. 16 महीने की बच्ची का ब्रेन ट्यूमर नाक के रास्ते से निकाला गया है. डॉक्टर का कहना है कि अगर अमायरा की स्कल खोलकर सर्जरी की जाती, तो भविष्य में उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ता. इसलिए डॉक्टरों ने नाक के जरिए सर्जरी करने का फैसला लिया.

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इतनी कम उम्र के मरीज पर की गई दुनिया में पहली सफल सर्जरी

चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों ने उत्तराखंड की 16 महीने की बच्ची अमायरा के ब्रेन ट्यूमर को नाक के जरिए निकाला है. दुनिया में यह पहली सफल सर्जरी है जो इतनी कम उम्र के मरीज पर की गई है. क्यों मर 3 सेंटीमीटर का था, लेकिन यह मरीज की उम्र के हिसाब से काफी बड़ा था. 2019 में स्टैनफोर्ड में 2 साल के बच्चे के साथ भी ऐसे ही सर्जरी की गई थी. 6 जनवरी को टीम ने 6 घंटे सर्जरी कर ट्यूमर निकाला. दिखाई न देने की शिकायत की वजह से बच्ची को पीजीआई रेफर किया गया था. अब वह बिल्कुल ठीक है. अमायरा के पिता ने बताया की है सर्जरी बिल्कुल फ्री में हुई है. वह कपड़े की दुकान चलाते हैं.

डॉक्टरों ने दिया 16 महीने की बच्ची को जीवनदान

साथ ही उन्होंने बताया कि 20 दिसंबर की शाम 4:00 बजे अमायरा सो कर उठी. जब उसकी मां ने उसे गोद में लिया और चिप देने की कोशिश की. चिप्स पकड़ने की कोशिश में वह इधर-उधर हाथ मारने लगी,तब शक हुआ कि बच्ची को शायद ठीक से दिखाई नहीं दे रहा. जब हरिद्वार के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में सिटी स्कैन करवाया गया तो पता चला कि बच्ची को ट्यूमर है.

23 दिसंबर को बच्ची को पीजीआई लाया गया. यहां डॉक्टर ने बताया कि सर्जरी ही इसका एक उपाय है और वह नाक के रास्ते करनी होगी. बच्ची के पिता ने कहा डॉक्टर साहब जो करना है करो, मेरी बच्ची को ठीक कर दो. ऑपरेशन के बाद अमायरा को साफ दिखाई देने लगा. आयुष्मान भारत कार्ड के बाद छोटी मोटी दवाइयों के अलावा पूरी सर्जरी फ्री में हुई. आमतौर पर ट्यूमर की ओपन सर्जरी होती है बाकी हिस्सा रेडिएशन थेरेपी से निकाला जाता है.

जाने डॉक्टर को सर्जरी मे  क्या क्या दिक्कत आई

डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची के नथुने 5- 6 मिलीमीटर थे. जबकि कई उपकरण एक साथ इस्तेमाल करने थे, जिसकी वजह से दिमाग का पानी बाहर आने का भी खतरा था. इसके लिए नैजो पैपटल फ्लिप इस्तेमाल किया गया. इसे इतने छोटे बच्चे की नाक के अंदर ले जाना और रिपेयर करना आसान नहीं था. जरा सी लापरवाही की वजह से ब्रेन की वेसल्स को नुकसान हो सकता था. कंप्यूटर की मदद से देखा जा रहा था कहीं वेशल्स को नुकसान तो नहीं हो रहा.

सुबह 9:00 बजे ऑपरेशन की प्रोसेस शुरू की गई. नाक से ब्रेन तक पहुंचने के लिए ड्रिल की गई. दोपहर 12:00 बजे हमने ट्यूमर के छोटे-छोटे टुकड़े और नाक के रास्ते बाहर निकाले. इसमें भी 3 घंटे का समय लगा. फिर एचडी एंडोस्कोपी से अंदर झांक कर देखा कि सब ठीक है सब सुराख बंद कर दिए. आधे घंटे के बाद बच्ची को होश आ गया.

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