हरियाणा में अभी नहीं मिलेगी बिजली कटों से राहत, ये है मुख्य कारण

चंडीगढ़ । हरियाणा के बिजली उपभोक्ताओं को अभी तक बिजली कटौती से राहत नहीं मिली है. न तो नई कंपनियों से बिजली खरीदने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है और न ही सरकार पुरानी कंपनियों से समझौते के साथ बिजली आपूर्ति शुरू करने में सफल रही है. भीषण गर्मी के कारण प्रदेश में दिन प्रतिदिन बिजली की मांग बढ़ती जा रही है. लेकिन कहीं से भी आपूर्ति की व्यवस्था नहीं की गई है. यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में बिजली कटौती की संख्या में इजाफा हो सकता है.

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इस वजह से नहीं मिल रही बिजली

पिछले साल हरियाणा की कुल बिजली क्षमता 12175,000 मेगावाट थी और जुलाई महीने में भी इतनी ही मांग पूरी की गई थी. हालांकि पिछले साल राज्य में बिजली को लेकर कोई समस्या नहीं थी. इस बार कुल क्षमता को बढ़ाकर 13,000 मेगावाट किया जाना था. लेकिन एक साल से अडानी पावर ने 1471 मेगावाट की आपूर्ति बंद कर दी है और टाटा कंपनी ने भी 500 मेगावाट की आपूर्ति बंद कर रखी है. दूसरा खेदड़ पावर प्लांट की 600 मेगावाट की यूनिट बंद चल रही है.

कट लगने का यह भी है बड़ा कारण

वहीं गर्मी के जल्दी आने से अप्रैल माह में ही बिजली की खपत पिछले साल की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा बढ़ गई. इससे पहले अप्रैल महीने में 6500 से 7500 मेगावाट बिजली की मांग थी, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 8600 मेगावाट को पार कर गया है. तमाम इंतजाम करने के बावजूद एक हजार मेगावाट बिजली की कमी है. इसलिए उद्योगों समेत अन्य उपभोक्ताओं पर रोजाना 14 लाख यूनिट तक के कट लगाए जा रहे हैं.

बिजली विभाग ने लिखा पत्र

बिजली विभाग ने हरियाणा विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखकर एक सप्ताह पहले मध्य प्रदेश की एक बिजली कंपनी से 500 मेगावाट बिजली खरीदने की अनुमति मांगी थी. लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. आयोग 25 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगा. उसके बाद ही यह तय होगा कि खरीद पर कोई फैसला लिया जाएगा या नही.

विदेशी कोयले के रेट को लेकर है विवाद

अडानी और टाटा कंपनियां विदेशी कोयले के दाम बढ़ाने की मांग कर रही हैं. कंपनियों का तर्क है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में विदेशी कोयले के दाम बढ़े हैं, इसलिए बिजली का उत्पादन करना महंगा हो गया है और इससे कंपनिया को घाटा हुआ है. इसकी पूर्ति के लिए राज्य को कोयले की बढ़ी हुई दरों का भुगतान करना होगा. हालांकि राज्य सरकार पहले ही इससे इनकार कर चुकी है. फिलहाल बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है.यह कब खत्म हो पाएगा यह कोई नहीं बता पा रहा है.

अधिकारी ने कही ये बात

वहीं इस मामले में एसीएस पीके दास का कहना है कि अभी स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है. सिर्फ 1 फीसदी की कटौती की जा रही है. नई बिजली की खरीद की प्रक्रिया भी चल रही है. अडानी और टाटा कंपनियों से बातचीत चल रही है.उम्मीद है कि जल्द ही मामला सुलझ जाएगा और बिजली सुचारु रूप से मिल जाएगी

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