हरियाणा: परिवार पहचान पत्र पर हाईकोर्ट की मुहर, चुनौती देने वाली याचिका खारिज, जाने पूरा मामला

चंडीगढ़ । हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना परिवार पहचान पत्र पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है. शुक्रवार को हाईकोर्ट ने परिवार पहचान पत्र को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए अपनी हरी झंडी दिखा दी है. गुरुग्राम के रहने वाले आदित्य गुप्ता ने कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि प्रदेश में रहने वाले हर एक परिवार का वित्तीय डाटा राज्य सरकार के पास होगा. सत्तासीन राजनीतिक पार्टी द्वारा अपने राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से परिवार पहचान पत्र के दुरुपयोग करने की संभावना है.

HIGH COURT

याचिका के अनुसार परिवार पहचान पत्र का मॉडल और जरुरी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए इसे अनिवार्य करना मनमाना व अवैध है. यह प्रजातंत्र में मौलिक अधिकारों के विपरित है. याचिका में 22 अप्रैल 2020 की उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की थी, जिसके तहत राज्य में किसी भी तरह की सरकारी सेवा का लाभ उठाने के लिए परिवार पहचान पत्र अनिवार्य किया गया है व इसी अधिसूचना के तहत सरकार ने नागरिक संसाधन सूचना विभाग का गठन किया, जिसके अंतर्गत हरियाणा सरकार का मकसद हरियाणा राज्य के सभी निवासियों के महत्वपूर्ण डाटा इकट्ठा करना है.

याचिका में दलील दी गई है कि ऐसे महत्वपूर्ण विभाग का गठन करने , स्थापित करने और सशक्त बनाने हेतु राज्य की विधायिका द्वारा कोई कानून नहीं बनाया गया है. परिवार पहचान पत्र के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता भी की गई है. अगर फैमिली के किसी सदस्य के पास आधार कार्ड नहीं है तो उसे परिवार पहचान पत्र जारी नहीं किया जाएगा.

याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने एक फैसले में स्पष्ट कर चुका है कि आधार कार्ड किसी सेवा के लिए अनिवार्य नहीं है. लेकिन हरियाणा सरकार ने परिवार पहचान पत्र के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता की हुई है. सभी पक्षों को सुनने के पश्चात हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करने का फैसला सुनाया.

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