लाखों कर्मचारियों को नौकरी देने वाले HSSC को नहीं मिला कानूनी दर्जा, हाईकोर्ट के एडवोकेट ने सरकार से की यह अपील

चंडीगढ़ | जो सरकारी संस्था लाखों कर्मचारियों को नौकरी देती है उसे ही अभी तक कानूनी दर्जा नहीं मिल पाया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग यानी HSSC की. दिसंबर 1997 में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर सेवाएं चयन बोर्ड (SSSB) का नाम बदलकर HSSC किया था. हालांकि, तब आयोग को वैधानिक (कानूनी) दर्जा देने से संबंधित कोई अधिनियम विधानसभा में नहीं बना था.

Haryana Staff Selection Commission HSSC

2004 में मिली थी मान्यता

19 साल पहले दिसंबर, 2004 में उस समय के सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने विधानसभा मार्फ़त एचएसएससी अधिनियम 2004 बनवाकर एचएसएससी को वैधानिक (कानूनी) मान्यता दी थी, मगर तीन महीने बाद ही मार्च 2005 में जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने नई विधानसभा के पहले ही सत्र में HSSC (निरसन) विधेयक 2005 सदन से पारित करवाकर आयोग को मिले कानूनी दर्जे कों खत्म करवा दिया था.

शीतकालीन सत्र में पेश हो विधेयक

हालांकि, दोनों सरकारों की अपनी- अपनी मजबूरी रही थी. चौटाला चाहते थे कि 2005 विधानसभा चुनावों के बाद यदि उनके हाथ से सत्ता चली गई तो इसके बावजूद उनके द्वारा नियुक्त आयोग के चेयरमैन और सदस्य अपने- अपने पद पर बने रह सकें, जबकि हुड्डा चाहते थे कि वे अपनी मर्जी के चेयरमैन और सदस्य नियुक्त करें. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने सरकार से अपील की है कि शीतकालीन सत्र में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को कानूनी दर्जा देने के लिए विधेयक लाया जाए.

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