हरियाणा सरकार ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित 8 साल पुराने कानून में किया बदलाव

चंडीगढ़ । हरियाणा में जनहित से जुड़ी जरूरी परियोजनाओं   के लिए अब किसान और भूस्वामी अपनी जमीन देने में आनाकानी नहीं कर सकेंगे. बता दें कि भूमि बैंक बनाने के बावजूद विभिन्न परियोजनाओं के लिए जमीन के संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार ने 8 साल पुराने भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव किया है. इस कानून के अनुसार सरकार जरूरत पड़ने पर जमीन का अधिग्रहण कर सकेगी, जिसके बदले में भूस्वामी को मुआवजा भी दिया जाएगा.

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अब विकास के लिए नहीं पड़ेगी जमीन की कमी

विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को विपक्ष ने भारी हंगामा किया,  इसी बीच भूमि अर्जन पुनवासन और पुनव्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिग्रहण विधेयक पारित कर दिया गया. बता दें कि अब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. केंद्र की मुहर लगते ही प्रदेश में कानून लागू हो जाएगा. भाजपा विधायक अभय सिंह यादव के सुझाव पर सोमवार को सदन पटल पर रखे गए विधेयक में नई शर्ते जोड़ी गई. नई शर्तों के तहत वन भूमि और पुरातत्व से जुड़ी जमीन इस विधेयक के दायरे में नहीं आएगी.

संशोधित विधेयक के मुताबिक नई धारा 31-ए के तहत प्रदेश सरकार अगर 200 एकड़ से कम जमीन का अधिग्रहण करती है तो संबंधित किसानों को कुल मुआवजे का 50 फीसद पैसा एकमुश्त देना होगा. वही इस संशोधित कानून में धारा 23 जोड़ी गई. जिसके तहत भू मालिक के जमीन बेचने के लिए राजी होने पर कलेक्टर बिना जांच किए मुआवजा तय कर सकते हैं.

 

इन परियोजनाओं के लिए अधिकृत की जा सकेगी जमीन

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत रक्षा तैयारी और रक्षा उत्पादन से जुड़ी परियोजनाएं.
  • विद्युतीकरण सहित ग्रामीण अवसंरचना.
  • गरीबों को सस्ते मकान और प्लाट देने तथा विस्थापित लोगों का पुनर्वास.
  • इंडस्ट्रियल कोरिडोर के लिए रेलवे लाइनों या सड़कों के दोनों तरफ दो किलोमीटर तक की जमीन.
  • स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित परियोजनाएं. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के प्रोजेक्ट जिनकी जमीन का स्वामित्व प्रदेश सरकार में निहित है.
  • शहरी मेट्रो रेल और रैपिड रेल प्रोजेक्ट.

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