हरियाणा में पंचायत चुनावों का रास्ता साफ, कोर्ट ने कही ये बात

चंडीगढ़ | हरियाणा पंचायत चुनावों को लेकर अब फैसला साफ हो गया है. हालांकि, राज्य सरकार से जवाब भी मांगा गया है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछड़ा वर्ग (ए) को दिए जाने वाले आरक्षण के संबंध में हरियाणा सरकार के फैसले पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

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राज्य सरकार को 14 दिसंबर 2022 को अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है. ऐसे में राज्य सरकार यह जवाब दाखिल करने से पहले पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी करेगी. हालांकि, पंचायत चुनाव सितंबर 2022 के अंत तक होने थे लेकिन पिछड़ा वर्ग (ए) को आरक्षण की प्रक्रिया और वार्डबंदी के काम में देरी के कारण पंचायत चुनाव दशहरे के बाद यानी 5 अक्टूबर के बाद ही होंगे.

सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश

पंचायत चुनाव (Haryana Panchayat Election)  में पिछड़ा वर्ग (ए) को दिए गए आरक्षण में हरियाणा सरकार के फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रविशंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की बेंच ने हरियाणा सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि पंचायत चुनाव में आरक्षण के लिए एक याचिका पहले से ही हाईकोर्ट में विचाराधीन है तो यह नई याचिका क्या है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस याचिका में पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग (ए) के लिए हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2022 लागू किया गया है, जो भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है.

बता दें कि प्रस्तावित पंचायत चुनाव में हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग (बीसी-ए) के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था. हरियाणा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने यह आरक्षण दिया है, जिसे भेदभावपूर्ण बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

याचिका में कही गई ये बातें

सोनीपत निवासी सुरेश कुमार व अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने 2 सितंबर को अध्यादेश जारी कर पुराने कानून में संशोधन कर हरियाणा पंचायती राज अधिनियम की धारा 9, धारा 59 और धारा 120 में संशोधन किया है. इस संशोधन के तहत बीसी (ए) के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है. याचिका में बताया गया कि ग्राम सभा क्षेत्र में बीसी (ए) की कुल आबादी के आधे प्रतिशत और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित के आधार पर आरक्षण दिया जाना है. वार्डों के अलावा बारी-बारी से वार्ड आवंटित किए जाने हैं.

यह तर्क दिया गया था कि ड्रॉ की प्रक्रिया और रोटेशन की प्रक्रिया का पालन कैसे किया जाएगा. यह स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है जो पूरी तरह से अवैध, अनुचित और असंवैधानिक है. हालांकि, जहां तक ​​अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की बात है तो यह जनसंख्या के अनुपात में किया जा रहा है जबकि बीसी (ए) के लिए इसे आबादी के आधे प्रतिशत में जोड़ा जा रहा है.

याचिका के अनुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत, जिला परिषद और प्रखंड समितियों में पिछड़ा वर्ग-ए की जनसंख्या का प्रतिशत इसकी 50 प्रतिशत सीटें पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होंगी. यह अध्यादेश एससी वर्ग की तुलना में दिए जा रहे लाभ की सीमा को सीमित करके बीसी (ए) के प्रति पूरी तरह से भेदभावपूर्ण है इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2022 को निरस्त करने की भी मांग की है.

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