3 दिन बाद भी सरसों की सरकारी खरीद के लिए सरकार के हाथ खाली, जानें क्या है वजह

झज्जर । अनाज मंडियों में सरसों की सरकारी खरीद 21 मार्च से शुरू हो चुकी है लेकिन सरकार के पास एमएसपी पर बेचने के लिए एक भी दाना नहीं पहुंचा है. ऐसे में इस बार भी सरकार के हाथ खाली रहने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि किसानों को प्राइवेट मंडियों में सरसों का अच्छा-खासा भाव मिल रहा है तो ऐसे में किसान भी सरकारी खरीद से दूरी बनाए हुए हैं.

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मंडियों से बाहर सरसों का ऊंचा भाव मिलने का नतीजा यह हो रहा है कि सरकारी खरीद का श्रीगणेश तक नहीं हो पाया है जबकि प्राइवेट मंडियों में सरसों की बिक्री जोरों पर है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि प्राइवेट मंडियों में किसानों को सरसों का भाव एमएसपी से 1500-2000 रुपए तक अधिक मिल रहा है.

बता दें कि हरियाणा सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5050 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है और सरकारी खरीद 21 मार्च से शुरू करने के निर्देश दिए गए थे. झज्जर जिलें में सरसों की सरकारी खरीद के लिए 6 केंद्र बनाए गए थे लेकिन एक भी केंद्र पर अभी तक किसान सरसों की सरकारी खरीद के लिए नहीं पहुंचा है. इसका कारण प्राइवेट मंडियों में सरसों का भाव अधिक मिलना है. वहीं एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होनी है जिसके लिए जिलें में 9 खरीद केंद्र बनाए गए हैं.

सरसों के खरीद केंद्र

• झज्जर, बहादुरगढ़, बेरी, पाटोदा, ढाकला व मातनहेल

 गेहूं के खरीद केंद्र

• झज्जर, बहादुरगढ़, बेरी, बादली, ढाकला, मातनहेल, आसौदा, छारा व माजरा दुबलधन

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