हरियाणवी संस्कृति की पहचान बचाने में जुटी जींद की बेटी, हरियाणा की सबसे बड़े बजट वाली फिल्म में आएगी नजर

जींद । हरियाणा सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए तो प्रयासरत हैं लेकिन हरियाणवी संस्कृति को बचाने के लिए कोई सराहनीय कदम नहीं उठा रही है. हालांकि निजी लेवल पर कुछ लोग हरियाणवी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं. इसका जीता जागता उदाहरण जींद की लाडो गीतू परी है,जो आजकल हरियाणवी कल्चर और रीति-रिवाज की पहचान बनीं हुईं है. हरियाणा की बड़ी फिल्म मानी जानीं वाली दादा लखमीचंद में भी गीतू अपने अभिनय का जलवा दिखाती हुई नजर आएंगी. शुरुआत में परिजन गीतू के इस फैसले के खिलाफ थे लेकिन गीतू के जुनून के आगे परिवार को झुकना पड़ा और गीतू के साथ खड़े हो गए.

geetu pari

मूल रूप से जींद की रहने वाली गीतू परी की शादी कैथल के बालू गांव में हुई है. फिलहाल वह अपनी फैमिली के साथ सोनीपत में रह रही हैं.बचपन में त्यौहार और शादी-ब्याह के अवसर पर दादी, ताई समेत आसपास की महिलाओं को दामन और घाघरा पहने हुए देख गीतू परी के मन में भी दामन और घाघरा के प्रति लगाव पैदा हुआ. एक दिन जींद में भारत सिनेमा के पास मुंबई की एक टीम शुटिंग का सीन फिल्मा रहीं थीं.

उस वक्त टीम के सदस्य का ध्यान फोटो स्टूडियो के शीशे पर लगी एक फोटो पर पड़ा तो उन्होंने दुकान वाले से पूछा कि यह फोटो किसी स्थानीय लड़की की है या फिर ऐसे ही बनावटी. दुकानदार ने बताया कि यह फोटो पास के मोहल्ले की लड़की की है. इस पर टीम के सदस्य ढूंढते हुए गीतू परी के घर तक पहुंच गए और उसे मायानगरी मुंबई में शार्ट फिल्मों में एक्टिंग का ऑफर दिया. लेकिन गीतू के परिजनों ने हामी नहीं भरी. इसके बाद गीतू के मन में एक्टिंग के प्रति जिज्ञासा बढ़ती चली गई. गीतू की दिली तमन्ना थी कि वह ऐक्टिंग करें लेकिन पहनावा हरियाणवी हों.

शादी के बाद भी जुनून कम नहीं हुआ

शादी के बाद भी गीतू का हरियाणवी संस्कृति के प्रति लगाव कम नहीं हुआ. गीतू को दिल्ली में अध्यापिका की नौकरी मिली लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं की. उनका मन तो कहीं ओर ही भटक रहा था. तब पति ने उनका साथ देते हुए उन्हें हरियाणवी संस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होने की इजाजत दी. गीतू परी ने हरियाणवी वेशभूषा की फैशन प्रतियोगिता में भाग लेते हुए पहला स्थान हासिल किया जिसके बाद गीतू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

गीतू परी ने कहा कि उनका मकसद पैसों के पीछे भागना नहीं है, बल्कि फूहड़ता को छोड़ हरियाणवी संस्कृति को बचाए रखना और इसमें अपनी अलग पहचान बनाना है. उन्होंने सभी जिलों की महिलाओं को जोड़कर एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया हुआ है जिसके माध्यम से सभी शहरों में हरियाणवी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

दादा लखमीचंद फिल्म में नजर आएंगी गीतू

हरियाणवी बजट की सबसे बड़ी फिल्म दादा लखमीचंद में गीतू परी अपने अभिनय का प्रदर्शन करते हुए दिखेंगी. इसके अलावा गीतू परी ने जुगनी नामक हरियाणवी गीत को अपनी लेखनी से पिरोया है जिसमें बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है.

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